Manisha Pandey
आज एक कैनेडियन स्टूडेंट से मुलाकात हुई, जो इंडियन मीडिया पर रिसर्च कर रही है। जेनिफर दीवानों की तरह अपना काम करती है, दुनिया घूमती है, उसे संगीत की कमाल की समझ है, एक साल एक ब्वॉयफ्रेंड के साथ रही। बात जमी नहीं, बैग उठाया और आगे की जिंदगी खोजने निकल पड़ी। वो कहीं भी जाकर बस जाना चाहती है और संसार देखना चाहती है। मैं एक डच लड़की को जानती हूं, जो जंगलों में घूम-घूमकर तितलियां इकट्ठा किया करती थी। एक और लड़की, जो ग्राफिक नॉवेल लिखने में ही मगन रहती थी। एक लड़की, जो दिन-रात पहाड़ चढ़ा करती थी।और हिंदुस्तान में पैदा हुई, हमारे समाज में पली-बढ़ीं, हमारे घर, परिवार, रिश्तेदार, पड़ोस और आसपास की दुनिया की लड़कियां क्या करती हैं। और लड़कियां ही क्यों लड़के भी क्या करते हैं।
- पैदा होते हैं।
- फिर अच्छे से स्कूल में पढ़ने जाते हैं और क्लास में फर्स्ट आने के लिए मरे जाते हैं।
- इंटर पूरा होने से पहले कॅरियर की चिंता में घुलने लगते हैं। उस समय जीवन का मकसद सिर्फ अच्छे पैसे वाली एक अदद नौकरी होता है।
- नौकरी मिलते ही मां-बाप शादी के लिए हैरान-परेशान।
- कोई बेटी के लिए लड़का ढूंढ रहा है, कोई बेटे के लिए लड़की ढूंढ-ढूंढकर मरा जा रहा है।
- जाति-धर्म में वर-वधू तलाशकर मां-बाप उनकी जिंदगी को ठिकाने लगा देते हैं।
- शादी को दो-तीन साल हुए नहीं कि सास बोलेगी, गोदी में ललना खेले। तो भईया बच्चा-बच्चा-बच्चा।
- फिर बच्चे को पालो। फिर उसके लिए अच्छा स्कूल ढूंढो, उसके कॅरियर की चिंता करो, उसकी शादी के लिए वर तलाशो। और फिर उसकी भी शादी को दो साल हुए नहीं कि- अरे बेटवा, अब गोदी में एक ललना खेले। कहानी खत्म। पैसा हजम।
हमारे देश में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि इस पैटर्न से इतर भी कोई जिंदगी हो सकती है। एक जिंदगी, जिसमें दूल्हा-दुल्हन ढूंढने का कोई आइडिया न हो, कोई ये सवाल भी न करे कि गोदी में ललना खेले, जमीन खरीदो, प्रॉपर्टी बनाओ टाइप चीजें एक्जिस्ट ही न करती हों, जीवन में कुछ शौक हों, कुछ काम हों, जिनके लिए जीने का जज्बा हो, घुमक्कड़ी हो, आवारापन हो, संगीत हो, सिनेमा की दीवानगी हो, किताबों के ढेर लगे हों, कुछ करने का जुनून हो। कुछ तो हो।
तितलियां बीनने और पहाड़ चढ़ने वाली लड़की को हमारे देश में लोग पागल समझेंगे। कहां से आई है, बौराई है क्या। पहाड़ चढ़ना भी कोई काम है भला।
मेरी दादी को वो लड़कियां मिल जाएं तो चट मंगनी पट ब्याह कराकर दो साल में गोदी में ललना खिलवा देंगी।
तौबा। कैसे विचित्र देश में रहते हैं हम।
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