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Thursday, February 28, 2013

जाति देखकर कॉपी जांचने में दोष सिद्ध

First Published:07-09-12 11:39 AM

वर्धमान महावीर मेडिकल और सफदरजंग अस्पताल के अनुसूचित जाति और जनजाति के 25 छात्रों को जबरन फेल करने और दूसरे सेमेस्टर में नहीं बैठने देने के मामले में चार डॉक्टरों को दोषी पाया गया है। इस बाबत अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग द्वारा गठित दो सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंप दी है। आयोग अध्यक्ष पीएल पुनिया और प्रो. बालाचंद्रन मुंगेकर की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मेडिकल कॉलेज के डॉ. वीके शर्मा, डॉ. जय श्री भट्टाचार्या, डीन डॉ. राज गुप्ता और डॉ. शोभा दास को छात्रों को जबरन फेल करने के मामले में दोषी पाया गया है। उपरोक्त सभी ने अधिनियम का उल्लंघन किया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी डॉक्टरों को निलंबित करने की बात कही है। मालूम हो कि वर्ष 2010 की एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की परीक्षा में अनुसूचित जाति और जनजाति के 35 छात्रों को फिजियोलॉजी परीक्षा में फेल कर दिया गया था। इसी वर्ष अक्तूबर में ली गई पूरक परीक्षा में भी 35 में से 25 छात्रों को उसी विषय में फेल कर दिया गया। इस मामले के विरोध में नाराज छात्रों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी छात्रों को दूसरे सेमेस्टर में नहीं बैठने दिया गया। छात्रों की शिकायत के बाद आयोग ने एम्स के सजर्री हेड डॉ. मुरमू की अध्यक्षता में दो सदस्यीय कमेटी गठित की, जिसकी रिपोर्ट में भी छात्रों के प्रति भेदभाव की बात सामने आई। इस बार आयोग ने खुद जांच की तो चार डॉक्टरों को दोषी पाया गया।