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Tuesday, October 16, 2012

अमीर इंडिया के ग़रीब भारतीय

मंगलवार, 16 अक्तूबर, 2012 को 15:53 IST तक के समाचार

रिपोर्ट के अनुसार भारत में अमीरों और ग़रीबों के बीच खाई बढ़ती जा रही है.
अगर आपको कोई कहे कि भारत में अमीरों की संख्या अगले पांच साल में 53 फीसदी बढ़कर 2 लाख 42 हज़ार हो जाएगी तो हो सकता है कि भारत की समृद्धी को देख आपको खुशी हो.
लेकिन वो कहते हैं ना, कुछ आंकड़े पूरी तस्वीर पेश नहीं करते.
वित्तीय मामलों की बड़ी कंपनी क्रेडिट सूइस के शोध संस्थान द्वारा पेश किए गए इन्ही आंकड़ो का दूसरा पक्ष ये है कि आज भी भारत में 95 फ़ीसदी लोगों की संपत्ति पांच लाख तीस हज़ार रुपए से कम है.
एक लाख डॉलर यानी लगभग 53 लाख के अधिक संपत्ति वालों की संख्या कुल आबादी का केवल शून्य दश्मलव तीन (0.3) प्रतिशत है.

अमीर या गरीब?

"भारत में धन दौलत तेज़ी से बढ़ रही है, भारत में अमीरों और मध्यम वर्ग की संख्या भी बढ़ती जा रही है लेकिन इस विकास में हर कोई हिस्सेदार नहीं है और भारत में अब भी गरीबी एक बड़ी समस्या है."
क्रेडिट सूइस शोध संस्थान
भारत के अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई के ये आंकडे हैं क्रेडिट सुसी रिसर्च इंस्टिट्यूट की विश्व संपत्ति रिपोर्ट में सामने आए हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में धन दौलत तेज़ी से बढ़ रही है, भारत में अमीरों और मध्यम वर्ग की संख्या भी बढ़ती जा रही है लेकिन इस विकास में हर कोई हिस्सेदार नहीं है और भारत में अब भी गरीबी एक बड़ी समस्या है.”
भारत में 1500 ऐसे अमीर है जिनकी संपत्ति 500 करोड़ डॉलर यानी लगभग 25000 करोड़ रुपये है और 700 अमीरों के पास 100 करोड़ डॉलर यानी 50000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है.
विश्व भर के अमीरों की बाती की जाए तो 2012 से 2017 के बीच विश्व के अमीरों की संख्या दो करोड़ अस्सी लाख से बढ़कर चार करोड़ 60 लाख लोगों तक पहुंच जाएगी. यानी आने वाले पांच साल में विश्व में एक करोड़ 80 लाख अमीर और बढ़ जाएंगे.
वहीं चीन में अमीरों की संख्या 2017 तक दोगुनी होने का अनुमान लगाया गया है. 2017 में चीन में 20 लाख अमीर होगें.
बाकी जिन देशों में अमीरों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा उनमें मेक्सिको, इंडोनेशिया, सिंगापुर शामिल है.

Friday, August 17, 2012

'सिगरेट पीती हूँ मतलब ये नहीं कि सबके साथ सोती हूँ'

शुक्रवार, 17 अगस्त, 2012 को 18:18 IST तक के समाचार

एक नए शोध के अनुसार भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कम धूम्रपान करती हैं लेकिन महिलाओं में ये चलन तेज़ी से बढ़ रहा है.
मेडिकल पत्रिका लांसेट में छपी रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में तंबाकू का इस्तेमाल अपनी जड़ें जमा रहा है.
इतना ही नहीं चिंता की बात ये है कि विकासशील देशों में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है.
मुंबई में रह रहीं एक महिला से बीबीसी ने विशेष बातचीत कर धूम्रपान के उनके इस शौक की वजह समझने की कोशिश की.

रेवती की कहानी

मैं रेवती हूँ. मैं मुंबई में एडवर्टाइज़िंग कॉपीराइटर हूँ और दिन में लगभग 20 सिगरेट पी जाती हूँ.
सिगरेट पीने की शुरुआत कॉलेज के दिनों में हुई थी. मस्ती-मस्ती में शुरुआत हुई और फिर धीरे-धीरे आदत पड़ गई.
मुझ पर दोस्तों का दबाव नहीं था कि सिगरेट पियो लेकिन मुझे ट्राइ करना था और मैंने किया. उस उम्र में ऐसा होता है कि आप हर चीज़ ट्राइ करके देखना चाहते हैं.
जब मैंने सिगरेट पीना शुरू किया था तो ऐसा कुछ सामाजिक बहिष्कार नहीं हुआ. जो मेरे दोस्तों का सर्कल था उसमें सिगरेट पीना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन जब मैं पुणे पहुँची तो लगा कुछ अलग है. किसी लड़की को अगर कोई सिगरेट पीता देखे तो निगाहें अजीब सी हो जाती हैं.
मेरे परिवार में पता है कि मैं सिगरेट पीती हूँ. कोई नैतिक दबाव नहीं है लेकिन हाँ सेहत का हवाला देकर ज़रूर वो मुझे कहते हैं कि मुझे सिगरेट नहीं पीनी चाहिए.
शुरुआत में मुझे मेरे पिताजी ने सिगरेट पीते हुए देखा था. उन्होंने पूछा कि क्या तुम सिगरेट पीती हो, अगर हाँ तो निर्णय तुम्हारा ही होगा बस मैं इतना कहूँगा कि ये तुम्हारी ही जिंदगी पर असर डालेगा.

तनाव-मुक्ति

क्या कहती है रिपोर्ट

मेडिकल पत्रिका लांसेट में छपी रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में तंबाकू का इस्तेमाल अपनी जड़ें जमा रहा है. इतना ही नहीं चिंता की बात ये है कि विकासशील देशों में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है.
तीन अरब की कुल आबादी के 16 देशों में हुए शोध के अनुसार 48.6 प्रतिशत पुरुष तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं जबकि 11.3 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं.
खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं जल्द धूम्रपान करना शुरु करती हैं और ये उम्र लड़कों के ही समान है.
इस शोध में धूम्रपान के अलावा तंबाकू चबाना भी शामिल है. शोध के अनुसार रूस में धूम्रपान करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. रुस में 15 साल से ज्यादा उम्र के 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू सेवन करते हैं.
अब सिगरेट मेरे लिए तनाव से मुक्ति पाने का एक तरीका है और मैं इसका आनंद लेती हूँ. अगर मुझे सिगरेट न मिले तो मैं चिड़चिड़ी हो जाती हूँ और मुझे गुस्सा आने लगता है.
मुझे सड़क पर सिगरेट पीने में अच्छा नहीं लगता. लोग अजीब सी निगाहों से देखते हैं. इसलिए मैं ऑटो में बैठकर सिगरेट पीती हूँ.
हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता हैं. माना जाता हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है तो उसके कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. ये बड़ा ही बेतुका हैं क्योंकि सिगरेट का नैतिकता से कोई लेना-देना नहीं है.
यदि कोई लड़की सिगरेट पीती है तो इसका मतलब ऐसा नहीं है कि उसके सामने जो पहला इंसान आएगा वो उसके साथ सोने के लिए तैयार हो जाएगी.
लोग ऐसा ही समझते हैं कि जो लड़की सिगरेट पीती है वो किसी के भी साथ सो सकती है.

नैतिकता

मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों माना जाता हैं क्योंकि अगर एक आदमी सिगरेट पीता है ये एकदम साधारण बात मानी जाती है और सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़ा नहीं जाता.
ये मैं सड़क पर चलने वालों की सोच के बारे में बात कर रही हूँ. मैं एडवर्टाइज़िंग में काम करती हूँ और वहां मुझे ऐसे किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता.
एक बार डॉक्टर ने मुझे डरा दिया था तो मैंने छोड़ने की कोशिश की पर एक दिन से ज्यादा नहीं कर पाई.
मुझे पता है कि मुझे एक दिन सिगरेट छोड़ना होगा क्योंकि मैं हमेशा सिगरेट पीते नहीं रह सकती. अगर ऐसा करूँगी तो जी नहीं पाऊंगी.
फिलहाल मैं सिगरेट का पूरा मज़ा लेती हूँ और जब तक मेरे दिल से आवाज़ ना आए तब मैं सिगरेट नहीं छोड़ सकती.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/08/120817_women_smoking_trend_pn.shtml