क्या होगा, अगर लड़कियां कोर्ट की बात को दो कौड़ी का मानती रहीं और प्रीमैरिटल सेक्स से परहेज नहीं किया?
क्या होगा, अगर लड़कियां बिना शादी के भी मां बनने का फैसला लेने लगीं?
क्या होगा अगर लड़कियां खुद ये तय करने लगीं कि वो कब, कहां, कैसे मां बनेंगी?
क्या होगा, अगर बच्चा मां के नाम से जाना जाए?
हमारे बच्चे के लिए एक समझदार, संवदेनशील, खूब डूबकर प्यार करने वाला पिता हो तो बहुत अच्छा, लेकिन न हो तो भी बच्चा तो होगा ही। क्या होगा अगर हम हर कीमत पर मां बनना ही चाहें?
क्या होगा अगर लड़कियां अपनी देह से, अपनी इच्छाओं, जरूरतों से जुड़े फैसले खुद ही लेने लगीं?
क्या होगा, अगर इस धरती पर पैदा होने वाला कोई बच्चा नाजायज औलाद नहीं होगा। हर बच्चा लीगल है। हर बच्चा प्यारा है। हर बच्चे का हक बराबर है।
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होगा क्या, औरत के शरीर पर से आदमी का कंट्रोल खत्म। उसकी सत्ता तबाह। बच्चे के बाप के नाम पर ही तो गुलामी का ये सारा तामझाम फैला रखा है। बाप होता तो अच्छा ही था। लेकिन अगर वो इस लायक नहीं तो हम अकेली ही काफी हैं। कोई बाप नहीं हैं।
क्या होगा, अगर लड़कियां बिना शादी के भी मां बनने का फैसला लेने लगीं?
क्या होगा अगर लड़कियां खुद ये तय करने लगीं कि वो कब, कहां, कैसे मां बनेंगी?
क्या होगा, अगर बच्चा मां के नाम से जाना जाए?
हमारे बच्चे के लिए एक समझदार, संवदेनशील, खूब डूबकर प्यार करने वाला पिता हो तो बहुत अच्छा, लेकिन न हो तो भी बच्चा तो होगा ही। क्या होगा अगर हम हर कीमत पर मां बनना ही चाहें?
क्या होगा अगर लड़कियां अपनी देह से, अपनी इच्छाओं, जरूरतों से जुड़े फैसले खुद ही लेने लगीं?
क्या होगा, अगर इस धरती पर पैदा होने वाला कोई बच्चा नाजायज औलाद नहीं होगा। हर बच्चा लीगल है। हर बच्चा प्यारा है। हर बच्चे का हक बराबर है।
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होगा क्या, औरत के शरीर पर से आदमी का कंट्रोल खत्म। उसकी सत्ता तबाह। बच्चे के बाप के नाम पर ही तो गुलामी का ये सारा तामझाम फैला रखा है। बाप होता तो अच्छा ही था। लेकिन अगर वो इस लायक नहीं तो हम अकेली ही काफी हैं। कोई बाप नहीं हैं।
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