Tuesday, November 12, 2013

मुझे गांव जाना बिलकुल नहीं अच्‍छा लगता क्‍योंकि वहां मेरे लिए एक हजार नियम हैं।

Manisha Pandey
मुझे गांव जाना बिलकुल नहीं अच्‍छा लगता क्‍योंकि वहां मेरे लिए एक हजार नियम हैं।
यहां नहीं जा सकती, वहां नहीं जा सकती।
दुआरे पर मत बैठो, वहां सब मरद लोग हैं। खेत में मत जाओ। पंपिंग सेट पर नहाने मत जाओ। नहर के पास जाना तो बिलकुल अलाउ नहीं है।
वहां मर्दाने में क्‍या कर रही हो। उधर सब आदमी लोग हैं, वहां मत जाना।
ये मत करो, वो मत करो।
उफ। बस अपनी कजिन्‍स के साथ घर के किसी अंधेरे, सीलन भरे कमरे में बैठे गुटरगूं करते रहो, नहीं तो भाभियों के साथ रसोई में बैठे बेवकूफानी गप्‍प मारो। खुले आसमान के नीचे सोने का मन है तो आंगन है न इतना बड़ा। दुआरे पर जाना जरूरी है।
घुटन होने लगती है। भाड़ में गया गांव। आय एम नॉट इंटरेस्‍टेड।
और मुझे ऐसे किसी रिश्‍तेदार के घर जाने में भी कोई इंटरेस्‍ट नहीं है, जहां लड़कियां घर में आने वाले नए, अपरिचित, अजनबी पुरुषों जैसे भाई या मौसाजी, फूफाजी, जीजाजी और व्‍हॉटएवरजी के दोस्‍तों से बात नहीं कर सकतीं। जहां अजनबी पुरुषों के आते ही लड़कियां छछुंदरों की तरह सरसराकर बिल में घुस जाती हैं और खुसुर-पुसुर किया करती हैं।
मुझे नए लोगों से बात करना बहुत अच्‍छा लगता है। लड़कों से तो और भी अच्‍छा।
इसलिए मुझे ऐसे घरों में जाने में कोई इंटरेस्‍ट नहीं, जो घर के नाम में मुर्गियों के दड़बे और चुहियों के तहखाने हैं।
मेरे घर में आओ। एकदम सॉलिड क्रॉस वेंटिलेशन है। यहां कोई किसी के भी सामने बैठ सकता है, गप्‍पें मार सकता है और मर्दानगी की तो छीछालेदर कर सकता है।
ये इंसानों का घर है, चूहे-बिल्लियों का नहीं।
Deepa Agarwal ये तो गावं की की बात हुई. अब सुनो गोरखपुर शहर की बात-
१] उर्दुबज़ार में बुआजी की तीनो बहुएं घर से नीचे निकलते और आगे जाते वक़्त ,नज़रें नीची,सर पर पल्लू.और चुप चाप निकलतीं थी. हमने कारण पूछा ऐसा क्यूँ ? वो कहतीं थी नीचे दुकाने हैं और मर्द जिनका सम्मान करना होता है नहीं तो वो क्या सोचेगें की ये कैसी बहुएं हैं ?? उफ्फ्फ... अन्दर ही अन्दर हम कन्विन्स नहीं हो पाते थे.
२] कई घरों में देखा ससुर के आते ही बहु को जमीन में बैठना होता था चाहे वहां पर खाली कुर्सी या पलंग ही क्यों ना हो ?? उफ्फ्फ हमने सोचा यदि वो महिला अस्पताल में भारती हो या कार में जाए ससुर भी साथ हो तब भी बेहूदी परंपरा चलेगी ?
३] एक पुरानी पीढ़ी की महिला ने हमसे कहा हाय हाय दीपा तुम अंडा और मांस माछी मत खाया करो. इससे गर्मी आती है ये मर्दों का खाना है मेरे पति ने ये बताया है ? ufff.....
४]किसी पार्टी में जाओ मर्द और औरत के लिए अलग -२ जगह
५] किसी पार्टी में जाओ मर्द के लिए अच्छे स्नक्स विथ नोनवेज और महिलाओं के लिए सादे से वेज स्नेक्स ...
महिलाओं को हमेशा दोयम दर्जे का माना जाता रहा है .....इन बातों और सोच पर बड़ा तरस आता था.

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