Sunday, October 27, 2013

छोटे शहर सांस नहीं लेने देते


Manisha Pandey
छोटे शहर सांस नहीं लेने देते। आपकी हर एक्टिविटी पर हर वक्‍त लेंस ताने रहते हैं। जिंदगी में क्‍या करना है और कैसे करना है, सबकी एक फिक्‍स आचार संहिता है। उससे जरा भी हिले-डुले तो खैर नहीं। पूरा शहर और कस्‍बा आपको तमाम सर्टिफिकेटों से नवाज देगा। और उनमें भी अधिकांश सर्टिफिकेट कैरेक्‍टर से जुड़े होंगे।
छोटे शहरों में दिल से जीने की इजाजत नहीं। ब्‍वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को किस करने की तो बिलकुल भी नहीं, क्‍योंकि कहीं पड़ोस के मिश्राजी ने देख लिया तो सीधे खबर अब्‍बाजी तक पहुंच जाएगी। अब्‍बाजी को खुद भले तकलीफ न होती, लेकिन इस बात से तकलीफ हो जाएगी कि उनकी बेटी को किस करते मिश्राजी देख चुके हैं। छोटे शहर न सपने देखते हैं, न देखने की इजाजत देते हैं।
ऐसे में क्‍या करें अपने सपनों का हम, जो दौड़-दौड़कर जाने कहां-कहां घूमने के लिए मचल रहे हैं। हमारा भी बस नहीं अपने सपनों पर।

No comments:

Post a Comment