Sunday, September 29, 2013

तुलसीदास का कलियुग वर्णन. मूल पाठ, टीका समेत. उत्तरकांड/रामचरितमानस

तुलसीदास का कलियुग वर्णन. मूल पाठ, टीका समेत. उत्तरकांड/रामचरितमानस....



कलयुग में न कोई झूठ चलेगा और न ही कोई चालाकी. हर झूठ का अब भंडाफोड़ होगा. सतयुग के वे दिन अब गए जब सारे पाप जायज थे

जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा।
नारि मुई गृह संपति नासी। मूड़ मुड़ाइ होहिं संन्यासी॥

तेली, कुम्हार, चांडाल, भील, कोल और कलवार आदि जो वर्ण में नीचे हैं, स्त्री के मरने पर अथवा घर की संपत्ति नष्ट हो जाने पर सिर मुँड़ाकर संन्यासी हो जाते हैं।

ते बिप्रन्ह सन आपु पुजावहिं। उभय लोक निज हाथ नसावहिं॥
बिप्र निरच्छर लोलुप कामी। निराचार सठ बृषली स्वामी॥

वे अपने को ब्राह्मणों से पुजवाते हैं और अपने ही हाथों दोनों लोक नष्ट करते हैं। ब्राह्मण अपढ़, लोभी, कामी, आचारहीन, मूर्ख और नीची जाति की व्यभिचारिणी स्त्रियों के स्वामी होते हैं।

सूद्र करहिं जप तप ब्रत नाना। बैठि बरासन कहहिं पुराना॥
सब नर कल्पित करहिं अचारा। जाइ न बरनि अनीति अपारा॥

शूद्र नाना प्रकार के जप, तप और व्रत करते हैं तथा ऊँचे आसन (व्यास गद्दी) पर बैठकर पुराण कहते हैं। सब मनुष्य मनमाना आचरण करते हैं। अपार अनीति का वर्णन नहीं किया जा सकता।

दो० - भए बरन संकर कलि भिन्नसेतु सब लोग।
करहिं पाप पावहिं दुख भय रुज सोक बियोग॥ 100(क)॥

कलियुग में सब लोग वर्णसंकर और मर्यादा से च्युत हो गए। वे पाप करते हैं और (उनके फलस्वरूप) दुःख, भय, रोग, शोक और (प्रिय वस्तु का) वियोग पाते हैं॥ 100(क)॥

31 comments:

  1. ये गलत तरीके से पेश किया गया है जब कोई कवि भविष्य की बात करता है तो आप उसे वर्तमान की तरह क्यों दिखाते हो

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    1. ब्रह्मणवादी और मनुवादी मानसिकता है।

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    2. Tbhi to brahmin ko anpad aur lalchi bataya

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  2. रामचरित मानस ये चौपाइयां निराधार हैं।

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    1. ये यहाँ जितने भी बड़ी बात कर रहे हैं दर्पण में खुद को देंखे, मिट्टी का तन लेकर जो एक इंजेक्शन सहन नहीं कर सकता इतनी दम्भ भारी बात कर कैसे सकते हैं

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  3. गलत ढंग से पेश मत कीजिए

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  4. ये यहाँ जितने भी बड़ी बात कर रहे हैं दर्पण में खुद को देंखे, मिट्टी का तन लेकर जो एक इंजेक्शन सहन नहीं कर सकता इतनी दम्भ भारी बात कर कैसे सकते हैं

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  5. Ram charit manas hindu dharm ka adhar nahi hai, hamare 4 ved hi hindu dharm ka adhar hai, Tulsidas jaise kutil brahmano ne dharm ko apne suvidha ke hisab se paribhasit kar diya, jab ki ved me barn byavastha jati vyavashtha janm ke adhar par nahi karm ke adhar par mana hai, hindu dharm ko agar is tarah paribhasit kiya gaya aur janm se hi kisi ke jati ka nirdharan kiya gaya to dharm tutega aur bikharega bhi

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    1. आप एक को एक कवि के भविष्यवाणी कि कलयुग में ऐसा सम्भव हो सकता है। उसको आप गलत परिभाषित करते हैं। अगर गोस्वामी जी कुटिल ब्राह्मण होते तो निषाद राज और शबरी माता के चरित्र का वर्णन भी दूसरी तरह किया होता।

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    2. Ye batao ki aap karte kya ho jivan yapan k liyea,

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  6. भाई राम चरित्र मानस वैदिकआय॔ ब्राह्मणोका साहित्य है यह बहुजन विरोधी है अब तो मान लो!

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    1. Bheem ne apni book sudra kon the me dalito ko achhoot aary likha he

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  7. तुलसीदास को कोई शूद्र विरोधी, कोई बहुजन विरोधी, कोई मनुवादी आदि बतला रहा है। यह सब कहने से पहले यह तो जान लीजिये कि शूद्र किसे कहते हैं? ब्राह्मण किसे कहते हैं? मनुस्मृति के अनुसार शूद्र भी ब्राह्मण वर्ण में जा सकता है और ब्राह्मण भी शूद्र वर्ण में। किसी को मनुवादी कहने से पहले मनुस्मृति पढ़ लीजिये।

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  8. Ramcharitmanas maha kavya ki rachna bhagwan shiva ke adesh par kiya gaya hai.. esliye espar comment karne se bache..

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  9. Under stand the chaupai in right perspective.
    Varn vyavastha was work distribution.
    In today's world also lower and upper skilled differentiation persist.
    Diploma holder is considered lower skilled compared to technical graduate

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  10. जिस चीज का सही ज्ञान ना हो उसे पर टीका टिप्पणी करना उचित नहीं है ज्ञान लेना है तो सबसे पहले या तो उसको खुद पढ़िए या फिर किसी गुरु जन से पूछिए इसका अर्थ क्या होता है ना की जाने से पहले उसे पर आरोप लगाना

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