Dainikbhaskar.com | May 09, 2013, 14:54PM IST
वाराणसी. बीएचयू के दर्जनों प्रोफेसर दलित उत्पीड़न के मामले को
लेकर आक्रोश में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में दलित वर्ग
के प्रोफेसरों, छात्रों और कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा
है। कई विभागों में सीनियर प्रोफेसर दलित प्रोफेसरों को लैब में प्रवेश
करने नहीं देते हैं। बाहर रहने को कहते हैं। इसके विरोध में वे गुरुवार को
एन उदद्प्पा सभागार में कुलपति लाल जी सिंह से मिलकर अपनी समस्याओं को
रखेंगे।
मीडिया से बात करते हुए बीएचयू के कुछ प्रोफेसरों ने कहा कि विभाग में
उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. महेश
प्रसाद अहिरवार ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंदर सैकड़ों दलित छात्रों,
कर्मचारियों और प्रोफेसरों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। अब
अत्याचार बर्दास्त के बाहर हो गया है। इतना ही नहीं कई विभागों में सीनियर
प्रोफेसर दलित प्रोफेसरों को लैब में प्रवेश नहीं करने देते हैं। बाहर रहने
को कहते हैं ।
शिक्षा संकाय के प्रो संजय सोनकर ने बताया कि पत्रकारिता विभाग का
ताजा मामला सबके सामने है। इसमें महिला प्रो. शोभना जी के साथ कई सालों से
उत्पीड़न किया जा रहा है। उनको कई सालों से सीनियर प्रोफ़ेसर क्लास भी नहीं
लेने देते थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दलित छात्रों को साक्षात्कार
परीक्षा में कम नंबर दिए जाते हैं। उनके रिसर्च को दबा दिया जाता है।
कृषि विज्ञानं संस्थान के प्रो. लाल चंद प्रसाद ने बताया कि हमारे साथ
लगातार अभद्र व्यवहार किया जाता है। शिकायत करने पर विभाग उसको आगे नहीं
बढ़ाता, बल्कि उसे वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाता है। बीएचयू में ऐसे
सैकड़ों मामले सामने आए हैं। हमारे कई शोधों को प्रकाशित होने से पहले ही
रोक दिया जाता है।
कला संकाय के एसोसिएट प्रो. राहुल राज ने बताया कि मजबूरन दलित
प्रोफेसरों को पिछले कई महीनों में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित
जनजाति आयोग, महिला आयोग का दरवाजा इंसाफ के लिए खटखटाना पड़ा है। कुलपति भी
मामले को संज्ञान में लेकर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
विज्ञान संकाय के प्रो. आरएन खरवार ने बताया कि सैकड़ों उत्पीड़न के
मामले यूनिवर्सिटी में दबे हुए हैं। अब समय आ गया है कि एक आवाज बुलंद कर
कुलपति से मिलकर अपनी बातों को रखा जाए।
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