Thursday, February 7, 2013

लड़कियां बलात्कार के खिलाफ आवाज उठाती हैं, पुरुष साथ खड़े होते हैं।


Manisha Pandey
लड़कियां स्कू्ल जाने, पढ़ने का हक मांगती हैं, पुरुष कंधे से कंधा मिलाते हैं।
लड़कियां नौकरी करना, पैसा कमाना चाहती हैं, पुरुष डबल इनकम से खुश होते हैं।
लड़कियां गाड़ी चलाना चाहती हैं, पुरुष मुस्कुराते हैं और साथ देते हैं।
लड़कियां घूमने जाना चाहती हैं, पुरुष हंसकर कहते हैं, जाओ मेरी जान, खूब घूमो।
लड़कियां प्रेम करना चाहती हैं, पुरुष आगे बढ़कर हाथ पकड़ लेते हैं।
लड़कियां बीयर पीना चाहती हैं, पुरुष खुद किंगफिशर स्टांग की बोतल खरीद लाते हैं।

लेकिन जब लड़कियां कहती हैं, "वर्जिनिटी का आइडिया कूड़ा है" तो पुरुषों का दिमाग झनझना जाता है।
लड़कियां कहती हैं, "सारे धर्म, धर्मग्रंथ, सब कूड़ा हैं" तो मर्द बिदक जाते हैं।
लड़कियां कहती हैं, "हेल विद करवा चौथ। चूल्हे में गए सारे व्रत-उपवास" तो मर्द घबरा जाते
हैं।
इन्हीं महान सनातन परंपराओं, धर्मग्रंथों में तो स्त्रियों को गुलाम बनाने की चाभी छिपी थी। अब बेशर्म लड़कियां उस चाभी को ही भूमध्यक सागर में फेंक देने पर उतारू हो जाएंगी तो क्या होगा।

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