Tuesday, February 26, 2013

लड़कियों की आजादी पतनशील होने में जयादा है


Manisha Pandey
अपने घर की बड़ी-बूढियों और पड़ोसिनों, मिश्रा आंटी, तिवारी आंटी और चौबे आंटी से अच्‍छी लड़की होने के लक्षणों और गुणों पर काफी भाषण सुना है। और-तो-और, हॉस्‍टल में भी लड़कियाँ भी अक्‍सर मुझमें एक अच्‍छी लड़की के गुणों का अभाव पाकर उंगली रखती रहती थीं।
अच्‍छी लड़की न होने के बहुत सारे कारण हो सकते थे।
दादी के पैमाने ज्‍यादा संकुचित थे, मां के उनसे थोड़ा उदार और हॉस्‍टल के सहेलियों के थोड़ा और उदार। लेकिन पतित सभी की नजरों में रही हूं। जैसेकि शीशे के सामने चार बार खड़ी हो गई, या कोई रोमांटिक गाना गुनगुनाया, थोड़ा ज्‍यादा नैन मटका लिए, चलते समय पैरों से ज्‍यादा तेज आवाज आई, भाइयों के सामने बिना दुपट्टा हंसी-ठट्ठा किया तो दादी को मेरे अच्‍छी लड़की न होने पर भविष्‍य में ससुराल में होने वाली समस्‍याओं की चिंता सताए जाती थी।
मां इतनी तल्‍ख तो नहीं थीं। उनके हिसाब से घर में चाहे जितना दांत दिखाओ, सड़क या गली से गुजरते हुए चेहरा एक्‍सप्रेशनलेस होना चाहिए। सामने वाले शुक्‍ला जी का लड़का छत पर खड़ा हो तो छत पर मत जाओ। घर में भले बिना दुपट्टा रहो पर छत पर बिना दुपट्टा अदाएं दिखाना पतित होने के लक्षण हैं। अड़ोसी-पड़ोसी लड़कों से ज्‍यादा लडि़याओ मत। पूरा दिन घर से बाहर रहकर घूमने को जी चाहे तो लक्षण चिंताजनक है। रात में घर न लौटकर दोस्‍त के घर रुक जाने या इलाहाबाद यूनिविर्सिटी के गर्ल्‍स हॉस्‍टल में किसी सहेली के कमरे में रात बिताने को जी चाहे तो मां की नींद हराम होने के दिन आ गए हैं, ऐसा समझ लेना चाहिए। जबकि पापा अपने कॉलेज के दिनों के किस्‍से इस उम्र में भी मजे लेकर सुनाते रहे थे कि कैसे घर में उनके पांव ही नहीं टिकते थे, कि साइकिल उठाए वो कभी भी दस दिनों के लिए घर से अचानक गायब हो सकते थे और इलाहाबाद से सौ किलोमीटर दूर तक किसी गांव में जिंदगी को एक्‍स्‍प्‍लोर करते 10-15 दिन बिता सकते थे।
हॉस्‍टल की लड़कियां ज्‍यादा खुली थीं। वहां मैं कह सकती थी कि 20 पार हूं, लड़कों से बात करने को जी चाहता है। आमिर खान बड़ा हैंडसम है, मुझे उससे प्‍यार जैसा कुछ हो गया है। इन बातों को लड़कियां पतित नहीं समझतीं। उनके भी दिलों का वही हाल था। लेकिन वहां भी पतन के कुछ लक्षण प्रकट हुए। जैसेकि ये तू बैठती कैसे है, पैर फैलाकर आदमियों की तरह। मनीषा, बिहेव लाइक ए डीसेंट गर्ल। ये पेट के बल क्‍यूं सोती है, लड़कियों के सोने में भी एक अदा होनी चाहिए।
हॉस्‍टल में मेरी रूममेट और दूसरी लड़कियां दिन-रात मुझमें कुछ स्त्रियोचित गुणों के अभाव को लेकर बिफरती रहतीं और जेनुइनली चिंताग्रस्‍त होकर सिखाती रहतीं कि अगर मुझे एक अच्‍छी लड़की, फिर एक अच्‍छी प्रेमिका, अच्‍छी पत्‍नी और अच्‍छी मां होना है, तो उसके लिए अपने भीतर कौन-कौन से गुण विकसित करने की जरूरत है।
जो मिला, सबने अपने तरीके से अच्‍छी लड़की के गुणों के बारे में समझाया-सिखाया। और मैं जो हमेशा से अपने असली रूप में एक पतित लड़की रही हूं, उन गुणों को आत्‍मसात करने के लिए कुछ हाथ-पैर मारती रही, क्‍योंकि आखिरकार मुझे भी तो इसी दुनिया में रहना है और अंतत: मैं खुद को इग्‍नोर्ड और आइसोलेटेड नहीं फील करना चाहती।
इसलिए कहीं-न-कहीं अपने मन की बात और अपनी असली इच्‍छाएं कहने में डरती हूं, क्‍योंकि मुझे पता है कि वो इच्‍छाएं बड़ी "पतनशील" इच्‍छाएं हैं और सारी प्रगतिशीलता और भाषणबाजी के बावजूद मुझे भी एक अच्‍छी लड़की के सर्टिफिकेट की बड़ी जरूरत है। हो सकता है, अपनी "पतनशील" इच्‍छाओं की स्‍वीकारोक्ति के बाद कोई लड़का, जो मुझसे प्रेम और शादी की कुछ योजनाएं बना रहा हो, अचानक अपने निर्णय से पीछे हट जाए। 'मैं तो कुछ और ही समझ रहा था, ये तो बड़ी "पतनशील" निकली।'
कोई मेरे दिल की पूछे तो मैं पतित होना चाहती हूं, भले पैरलली अच्‍छी लड़की होने के नाम से भावुक होकर आंसू चुहाती रहूं।
वैसे पतनशील होना ज्‍यादा आसान है और अच्‍छी लड़की बनने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। हो सकता है, मेरे जैसी और ढेरों लड़कियां हों, जो अपनी पतनशीलता को छिपाती फिरती हैं, अच्‍छी लड़की के सर्टिफिकेट की चिंता में। डर रही हूं, कि खुद ही ओखल में सिर दे दिया है, लेकिन अब दे दिया तो दे दिया। चार और साथिनें आगे बढ़कर अपनी पतनशील इच्‍छाएं व्‍यक्‍त करेंगी, तो दिल को कुछ सुकून मिलेगा। लगेगा, मैं ही नहीं हूं साइको, और भी हैं मेरे साथ।

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