Friday, July 29, 2011

Developing India??

[1] भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या अब 46 फीसदी है, माने कि २००८ के आंकड़ों से ६ प्रतिशत बढ़ गयी है.

[2] इस देश की 69 फीसदी आबादी 20 रुपये से कम पर रोज गुजारा करती है,
यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा बनाई गयी अर्जुन सेनगुप्ता की कमेटी जिसका नाम था Conditions of Work and Promotion of Livelihood in the Unorganised सेक्टर का है. यह आंकड़ा १९९३-९४ के वित्तीय सत्र से लेकर २००४-०५ तक के सरकारी आंकड़ों पर ही आधारित है. इस कमेटी की पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं..
http://nceus.gov.in/Condit​ion_of_workers_sep_2007.pd​f

(ध्यान दें कि यह कमेटी भारत सरकार के योजना आयोग को रिपोर्ट कर रही थी. आप तो खैर जरूर पढेंगे , बेनामियों को बता दूँ कि इस कमेटी के मुताबिक प्रतिशत से आगे जाकर वास्तविक संख्या में देखें तो इस देश के ८३ करोड़ साठ लाख लोग २० रुपये रोज से कम में गुजारा कर रहे थे.

[4] हमारे देश में पचास फीसदी से ज्यादा लोगों के पास रहने के लिए कोई स्थायी और सुरक्षित घर नहीं है, यह आंकड़ा आपने कहां से लिया है?
भारत सरकार की उसी पहली रिपोर्ट से. इसमें यह भी जोड़ लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के एक स्वतंत्र सेर्वे ने यह संख्या और ऊपर..६६.५ करोड़ आंकी थी जो तब की आबादी के आंकड़ों पर ५८ प्रतिशत बनता था.. पर कोई नहीं सरकारी आंकड़े ही स्वीकार कर लेते हैं..

[5] साठ फीसदी से ज्यादा आबादी के पास किसी किस्म की स्वास्थ्य सुविधा नहीं पहुंची है, इस आंकड़े का आधार भी जानना चाहूंगा।
इस विषय पर कोई सीधा सरकारी आंकड़ा नहीं मिलाता क्योंकि सरकार अगर कहीं सिर्फ एक हस्पताल है तो उसे हस्पताल मानती है चाहे वहां एक भी डाक्टर ना हो. हाँ आप सरकार की और रिपोर्टों से यह बात साफ़ साफ़ देख सकते हैं. जैसे की स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की यह रिपोर्ट देख लें..
http://mohfw.nic.in/Health​%20English%20Report.pdf

२०१० की यह रिपोर्ट साफ़ साफ़ बताती है, कि “मानव संसाधन और विकसित मेडिकल टेक्नोलोजी का ७५ प्रतिशत, इस देश के कुल १५,०९७ अस्पतालों का ६८ प्रतिशत, और कुल ६, २३, ८१९ बिस्तरों का ३७ प्रतिशत निजी क्षेत्र में है. इनमे से ज्यादातर (सरकार संख्या नहीं दे रही) शहरी क्षेत्रों में हैं. और सबसे ज्यादा चिंता का विषय है ग्रामीण परिधि पर अयोग्य लोगों द्वारा दी जा रही घटिया स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं. स्वास्थ्य मंत्रालय, २०१०" (अनुवाद मेरा है, कोई भ्रम की गुंजाइश ना रहे इसीलिये मौलिक अंग्रेजी रिपोर्ट का यह हिस्सा यह रहा

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