Wednesday, September 24, 2014

दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्मों के पितामह थे या पोंगापंथी मिथकीय फिल्मों के

दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्मों के पितामह थे या पोंगापंथी मिथकीय फिल्मों के. उनकी बनाई फिल्मों पर कभी किसी ने बात क्यों नहीं की? बस किसी ने कह दिया पितामह तो सब हुलेले करते हुए बोल पड़े पितामह-पितामह.
Ak Pankaj ने इस ओर ध्यान दिलाया है. फिल्म निर्माण आधुनिक विज्ञान का चमत्कार है. लेकिन इस वैज्ञानिक चमत्कार का इस्तेमाल करके फाल्के महाशय ने जो फिल्में बनाई, उनके नाम तो देखिए:
Raja Harishchandra (1913)
Lanka Dahan (1917)
Shri Krishna Janma (1918)
Kaliya Mardan (1919)
Setu Bandhan (1932)
Gangavataran (1937)
"Mohini Bhasmasur" (1913)
"Savitri Satyavan" (1914)

और ये फिल्में किस समय बनाई गईं? यह फुले-शाहू के बाद का समय था. आंबेडकर-गांधी का समय था. स्वतंत्रता आंदोलन का समय था. विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र के विश्वव्यापी अभियान का समय था. स्त्री शिक्षा के विस्तार का समय था. दूसरे विश्वयुद्ध से ठीक पहले का समय था. देश दुनिया में इतना कुछ हो रहा था और भारतीय फिल्मों का कथित पितामह क्या-क्या बना रहा था.

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