Friday, May 6, 2011

दातून तोड़ने पर दलित युवक की पुजारी ने पिटाई


शनिवार, 20 अगस्त, 2005 को 13:02 GMT तक के समाचार

दिल्ली से कोई 55 किलोमीटर दूर हरियाणा के बढराम गाँव में एक दलित युवक के एक मंदिर में लगे नीम के पेड़ से दातून तोड़ने का परिणाम न सिर्फ़ ये हुआ कि उस युवक को पीटा गया, बल्कि गाँव के दलितों का सामाजिक बहिष्कार चल रहा है.
दलितों का कहना है कि उन्हें दुकानों से सामान बेचने वालों पर पंचायत ने 551 रुपए का जुर्माने का ऐलान किया है. हालाँकि इन आरोपों को सवर्ण जाति के लोग निराधार बताते हैं.
बढराम गाँव के अतर सिंह कहते हैं,“ये बिलकुल सफेद झूठ है क्योंकि इन पर पुलिस केस बन गया है, तो ये क्रॉस केस बनाने और इनके घरों में आग लगाने की बातें कर रहे हैं. ये अफ़वाह है ”
लेकिन सवर्ण जाति के लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि दातून तोड़ने पर दलित युवक की पुजारी ने पिटाई की और उसके सिर में चोट आई थी.
इसके साथ कुछ और दलितों की पिटाई की बात भी वे मानते हैं. पर सवर्ण जाति के लोग दलितों से इसलिए नाराज़ हैं कि उन्होंने पंचायत की बात नहीं मानी.
राजवीर सवर्ण जाति हैं, वो कहते हैं,“ दलितों ने पाँच गाँवों की पंचायत का फ़ैसला नहीं माना. इस पंचायत में इलाक़े के सभी प्रभावशाली लोग होते हैं. दलितों का कहना है कि वे सिर्फ़ अदालत का फ़ैसला मानेंगे. ”
लेकिन दलितों की बस्ती कुछ और ही कहती हैं. यहाँ कई ऐसे लोग हैं जिनके सिर, कमर और आँखों में चोट आई हैं. कुछ जले हुए छप्पर हैं.
दलितों का कहना है कि ऐसी पंचायत में जाने का क्या मतलब जहाँ उनका कोई प्रतिनिधि न हो.
दलितों में से एक सुक्खन कहते हैं, “जिस पंचायत की वे बात करते हैं उसमें तो सभी जाट हैं. हमारा एक भी आदमी उस पंचायत में नहीं है. कई बार ऐसा हुआ है जब इस तरह की जाति पंचायतों में हमें बुलाया गया है और उनका फ़ैसला न मानने पर हमारी पिटाई हुई है.”
एक कड़वा तथ्य यह भी है कि पुलिस ने अब तक इस मामले में जिन सात लोगों को गिरफ़्तार किया है, वे सभी दलित हैं, इनमें से सवर्ण कोई नहीं है. यानी पिटे भी वही गिरफ़्तार भी वही हुए.
आरोप-प्रत्यारोप
इस गाँव के सवर्ण जाति के कुछ युवकों से बातचीत में इस झगड़े का दूसरा पहलू सामने आ गया.
उनमें से एक युवक लाल सिंह कहते हैं,“ जब से उन्होंने यहाँ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाई है. वे हिंदुओं के कोई त्यौहार नहीं मनाते. मंदिर में जाकर उन्होंने हिंदू धर्म पर हमला किया है. हमारी सारी बिरादरी यही मानती है.”
गाँव के दलित सुक्खन
हरियाणा के इस गाँव में दलितों का बहिष्कार चल रहा है

गाँव के दलितों का भी कहना है कि झगड़ा दलितों के मंदिर में प्रवेश को लेकर ही नहीं है, बल्कि सवर्ण जाति के लोग इस बात से भी नाराज़ हैं कि दलित अब उनके यहाँ बेगार नहीं करना चाहते.
दलित महिला रेशम कहती हैं,“ पहले तो ऐसा था कि किसी ने हमसे काम कराया और मज़दूरी दी तो दी, वरना मना कर दिया. पर अब हमारे बच्चे उनका दबाव नहीं मानना चाहते.”
बढराम गाँव के कुछ दलितों ने इस ज़मीन पर जहाँ पहले गंदगी के ढ़ेर लगे थे, वहाँ सफ़ाई कर एक पार्क बना दिया.
जहाँ बच्चे खेलते हैं और शादी ब्याह में बारातें रुकती है, पर दलितों का कहना है कि इस पार्क में अंबेडकर की मूर्ति लगाने से सवर्ण जाति के लोग नाराज़ हैं.
इस गाँव के सवर्ण भी मानते हैं कि उनकी जाति के कुछ लोगों ने रात के अंधेरे में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को एक बार तोड़ दिया था.
ताज़ा घटना के बाद गाँव में व्याप्त तनाव और दलितों की आँखों में डर साफ़ दिखाई देता है, पर इसके बाद भी अब वे झुकने को तैयार नहीं हैं.
हालांकि गाँव में तैनात पुलिस अधिकारी शिव शर्मा मानते हैं कि दोनों जातियों के बुज़ुर्ग लोगों के माध्यम से प्रशासन स्थिति को सामान्य करने में लगा है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी.

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