Wednesday, August 17, 2011

हम 2 और वो 43 ............बहुत नाइन्साफी है

Dilip Mandal 
आज रात अलग अलग चैनलों पर अण्णा पर बात करते 45 गेस्ट और एंकर देखे। एक ओबीसी देखा- नारायणस्वामी। एक दलित- चंद्रभान प्रसाद। आदिवासी-000। यानी बहुजन 4.4%। यह है मीडिया में आपकी हिस्सेदारी। सवर्ण मीडिया और सवर्ण एक्सपर्ट हमारे देश में एजेंडा सेट करना चाहते हैं। शुक्र है फेसबुक है, इंटरनेट है। मैंने कहा था कि तीर्थ का पैसा बचाकर कंप्यूटर खरीदिए। जिस बात का डर था, वह आज हो रहा है। आगे और होगा। यह तो कहते हैं न कि टेस्टिंग है।

टीवी पर बोलने वालों के नाम गिनिए....अरुण जेटली, स्वपन दासगुप्ता, हरीश साल्वे, प्रसून जोशी, एन राम, अभिषेक मनु सिंघवी, रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, भारत भूषण, दिलीप चेरियन, हरतोष बल, जगदंबिका पाल, श्रवण गर्ग, मेधा पाटकर, शोभना भरतीया, कैप्टन गोपीनाथ, मधु किश्वर, प्रशांत भूषण, गुरुदास दासगुप्ता, अश्विनी कुमार, वेद प्रताप वैदिक, सत्यव्रत चतुर्वेदी, निखिल डे, अरविंद गौड़, स्मति ईरानी, शाहनवाज खान, अनिल धरकर, मैक्सवेल परेरा, सुब्रह्मण्यम स्वामी, प्रकाश गाबा, राहुल बजाज, अलिक पद्मसी, हरीश रावत, सोली सोराबजी, सी. ए. सुंदरम, निर्मला सीतारमन, विनोद शर्मा....एंकर- बरखा दत्त, अर्णव गोस्वामी, राहुल कंवल, सागरिका घोष, करण थापर, रवीश कुमार, अभिज्ञान प्रकाश आदि आदि। एंकर और भी होंगे। बाकी भी सवर्ण थे, इसे लेकर कोई संदेह नही है।
(नोट- कोई नाम छूट गया हो तो जुड़वा दें। लगातार नहीं देख सका था। कुछ लोग छूट गए होंगे। लेकिन उससे कुल ट्रेंड में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। )

बहस में ओबीसी नारायण स्वामी हैं वे मंत्री हैं और सरकार का पक्ष रख रहे थे. आंदोलन के सामाजिक पक्ष पर सिर्फ दलित चिंतक चंद्रभान जी ने बात की, जिसपर मधु किश्वर ने तरह तरह का मुंह बनाया।  

दुनिया के किस और देश में 10% समूह का लोकविमर्श पर इस कदर नियंत्रण है? भारत में इस मामले में एक विशिष्ट स्थिति है। समाधान क्या है मुझे नहीं मालूम। इंटरनेट एक विकल्प दिखता है। और भी तरीके होंगे। ये वाला मीडिया तो हमारे काम का नहीं है। 

2 comments:

  1. सच कहा दिलीप मंडल ने.

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  2. इस बात और अन्दाज को क्या कहें?

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