अमरीका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने सुब्रह्मण्यम स्वामी के विचारों को 'निंदनीय' क़रार देते हुए उन विषयों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटाने का फ़ैसला किया है, जो स्वामी पढ़ाते थे..
सुब्रह्मण्यम स्वामी के एक 'मुस्लिम विरोधी लेख' के बाद विश्वविद्यालय ने ये निर्णय लिया है.बुधवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों की बैठक में भारी बहुमत से ये फ़ैसला लिया गया.
सुब्रह्मण्यम स्वामी हर साल गर्मियों के दौरान हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं.
विश्वविद्यालय में 2012 की गर्मियों के पाठ्यक्रम को तय करने के लिए हुई बैठक के दौरान जैसे ही प्रोफ़ेसर डायना इक ने सुब्रह्मण्यम स्वामी के पढ़ाने वाले विषयों को हटाने के लिए प्रस्ताव रखा, वहां मौजूद प्राध्यापकों में गरमा-गरम बहस छिड़ गई.
प्रोफ़ेसर डायना का कहना था, ''एक धर्म विशेष के सभी लोगों को नीचा दिखाकर और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले करने की वकालत कर स्वामी ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं.''
प्रोफ़ेसर डायना ने कहा कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय की नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वो ख़ुद को ऐसे किसी भी आदमी के साथ नहीं जोड़े, जो किसी अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाते हैं.
ज़िम्मेदारी
विश्वविद्यालय के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्विटर पर लिखा, ''ख़तरनाक बात ये है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने प्रोफ़ेसरों के कहीं भी लिखे गए लेख के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहा है.''स्वामी ने इसी साल 16 जुलाई को भारत से छपने वाले एक अँग्रेज़ी दैनिक डीएनए में भारत से 'इस्लामी आतंकवाद' को हटाने के बारे में एक लेख लिखा था.
उसमें उन्होंने न सिर्फ़ 'मंदिर की जगह बने मस्जिदों को तोड़ने' की वकालत की थी बल्कि उन्होंने ये भी कहा था कि 'अपने पूर्वजों को हिंदू न मानने वाले मुसलमानों और अन्य धर्म के लोगों के मताधिकार भी छीन लिए जाने चाहिए'.
'सीमाएं लांघी'
"एक धर्म विशेष के सभी लोगों को नीचा दिखाकर और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले करने की वकालत कर स्वामी ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं."
प्रोफ़ेसर डायना इक, हार्वर्ड विश्वविद्यालय
उस लेख के छपने के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े 250 से अधिक लोगों ने सुब्रह्मण्यम स्वामी पर मुसलमानों के विरुद्ध भावनाएँ भड़काने वाला एक संपादकीय लिखने का आरोप लगाकर उन्हें विश्वविद्यालय से हटाने की माँग की थी.
लेकिन अगस्त में विश्वविद्यालय ने अभिव्यक्ति की आज़ादी का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी को हटाने की मांग ख़ारिज कर दिया था.
उसके बाद लगभग 400 छात्रों ने उन्हें हटाने की मांग करते हुए एक लिखित अपील जारी की थी. भारत में भी दिल्ली की एक अदालत के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने स्वामी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज किया था.
पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने का आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया था. सुब्रह्मण्यम स्वामी 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में एक प्रमुख याचिकाकर्ता हैं.
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/12/111208_subramaniam_harvard_ia.shtml
इन के बस में इससे ज्यादा और कुछ था भी नहीं। अपनी झुन्झलाट हटाने के लिये कुछ तो करना ही था।
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