Tuesday, May 17, 2011

Lord Buddha was the incarnation of Vishnu ???????????

Buddha in Afghanistan

It looks Avirodhabhash another incarnation of Vishnu that Lord Buddha was declared, but then you see that Lizie from Kashmir to Kanyakumari and Gujarat to Arunachal Pradesh from the statue of Buddha in the temple had not been any. If sincerely to Lord Buddha is considered an incarnation of Vishnu, every temple is his statue. If in fact it did the trick of Buddhism in their absorption. Second, the creation of such scriptures of the Buddha were in opposition. It was written in this liberation is not possible to master the grace and the grace of God may not be long. The people started spreading it that our salvation will not be long until someone not Tell Amen. They took the simple way in which they themselves had nothing to do. Wyabhiachar Buddha used to say, drugs, violence, etc. Do not, do not lie lyrics. But the new texts were written not going to matter. If God will be pleased if all will be forgiven. Kahaannia that such and such poems written which states that someone has sinned all my life and the grace of God she was dewy. So people it seemed that this simple path. No matter what day do, take the Lord's name in the evening so all is forgiven. Why such modesty, follow the path of enlightenment and wisdom, which is longer and a little difficult 




Some of Dalits to Buddhism as a religion is telling. Those opposed to the Buddha are the stories stronghold. Look to the Lord Buddha received enlightenment at Sarnath after visiting five people who have initiated them Such activity was not aDalit. Three of the five were Brahmins. After Lord Buddha fame and his 54 colleagues who have initiated the Wyaphari Thean all. Uaruvela Kasyap and its 500 pupils, was Kasyap and its 300 pupils and 200 pupils Kasyap And, the river and then initiate such has many disciples who believed that all the Vedic religion was.Binbsar warrior king was. Then had to Akayoan. Buddhist Emperor Ashoka who built Tadherm their time and spread to many countries including Sri Lanka, he was the warrior. Rahul's Talking Now Mahapandith Sanskrtyaan, who wrote so much about the Buddha and become monks themselves, they were Brahmins. DD Kaushanb were Brahmins. Now through Bipasrsna teachings of Lord Buddha are spread all over the world His Divine Grace Satyanarayan Goenka law, it is not trodden. Then the owner Subhash Chandra of Zee TV has too seeker Bipasrsna.They are not downtrodden. Babasaheb the way it spread in 1956, or it may say that it was revitalized and put life in it. Base by making it something you are saying that the Wasted Interest is the religion of the Dalits but the education Sarvjanin Lord Buddha is the eternal, is for everyone. You ever see him go to camp Bipasrsna America, attracts people of many countries including Japan. It also includes Christian priests and Muslim clerics, even Brahmins come. So it is that the stories spread Buddhism is the religion of the Dalits are the false stories. It is of course that of Babasaheb Ambedkar and the Osho Kanclwjan (conclusion) is that the Dalits of today who are they pre-Buddhist and so they should go back to Buddhism. Japan is the underdog. Thailand and three in Sri Lanka where Buddhism Tadherm Verma, there is the underdog. Today in America and Europe where the religion of Buddhism spread very rapidly, there is not the underdog all false propaganda that Buddhism is the religion of Dalits

3 comments:

  1. अक्सर हम सुनते है बोद्धो ओर सनातनियो से की शंकराचार्य जी ने भारत से बोद्ध धम्म को खत्म किया | कुछ लोग इसे शास्त्रार्थ द्वारा बताते है ,लेकिन माधव शंकर दिग्विजय में राजा सुधन्वा आदि की सेना द्वारा उनका संहार करने का वर्णन है .. क्या शंकराचार्य जी की वजह से बोद्ध धम्म का नाश हुआ ..क्या शंकराचार्य जी ने हत्याये करवाई इस विषय में हम अपने विचार न रखते हुए एक महान बोद्ध पंडित राहुल सांस्कृत्यन जी की पुस्तक बुद्ध चर्या के प्रथम संस्करण १९३० की जिसका प्रकाशन गौतम बुक सेंटर दिल्ली से हुआ के अध्याय भारत में बोद्ध धम्म का उथान और पतन ,पेज न १०-११ से उधृत करते है – इसमें बोद्धो के पतन का कारण तुर्की आक्रमण कारी ओर उनका तंत्रवाद को प्रबल प्रमाणों द्वारा सिद्ध करते हुए शंकराचार्य विषय में निम्न पक्ष रखते है
    एक ओर कहा जाता है ,शंकर ने बोद्धो को भारत से मार कर भगाया और दूसरी ओर हम उनके बाद गौड़ देश में पालवंशीय बोद्ध नरेशो का प्रचंड प्रताप फैला देखते है ,तथा उसी समय उदन्तपूरी और विक्रमशीला जेसे बोद्ध विश्वविद्यालयों को स्थापित देखते है |
    शंकर द्वारा बोद्ध का निर्वसन एक कल्पना मात्र है | खुद शंकर की जन्मभूमि केरल से बोद्धो का प्रसिद्ध तन्त्र मन्त्र ग्रन्थ ” मंजूष मूलकल्प संस्कृत में मिला है ,जिसे वही त्रिवेन्द्रम से स्व महामहोपाध्याय गणपतिशास्त्री जी ने प्रकाशित कराया था | क्या इस ग्रन्थ की प्राप्ति यह नही बतलाती कि ,सारे भारत से बोद्धो का निकलना तो अलग केरल से भी वह बहुत पीछे लुप्त हुए है | ऐसी बहुत सी घटनाओं ओर प्रमाण पेश किये जा सकते है जिससे इस बात का खंडन हो जाता है | राहुल जी की इस बात से न्व्बोद्धो ओर कुछ सनातनियो की इस बात का खंडन हो जाता है कि शंकराचार्य जी ने भारत से बोद्ध धम्म को नष्ट किया ..माधव दिग्विजय एक दंत कथा मात्र है | बोद्ध धम्म भारत से बोद्धो के अंधविश्वास ओर तुर्क आक्रमण कारियों के कारण नष्ट हुआ

    ReplyDelete
  2. राम जातक के आरंभ में भगवान बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि बाराह कल्प में ब्रह्म युगल पृथ्वी पर आये। उन दोनों ने धरती की मधुर और सुगंधित माटी इतनी अधिक मात्रा में खा ली कि उनका शरीर भारी हो गया और वे उड़कर पुन: स्वर्ग नहीं जा सके। वे दक्षिण समुद्र तट पर घर बनाकर रहने लगे। उन्होंने एक सौ एक संतानों को जन्म दिया। इसी क्रम में इंद्रप्रस्थ नगर अस्तित्व में आया। राम जातक में सीता का अपहरण विवाह के बाद रास्ते में हो जाता है। अपहरण के संदर्भ में स्वर्ण मृग का प्रसंग है, किंतु शूपंणखा की चर्चा नहीं हुई है। कैकेयी, भरत, शत्रुघ्न आदि की अनुपस्थिति के कारण वनवास का भी उल्लेख नहीं हुआ है। राम जातक के द्वितीय खंड में सीता-हरण से उनके निर्वासन और पुनर्मिलन की सारी घटनाओं का वर्णन हुआ है, किंतु सब कुछ लाओस की शैली में हुआ है। अन्य जातक कथाओं की तरह इसके अंत में भी बुद्ध कहते हैं कि पूर्व जन्म में वे ही राम थे, यशोधरा सीता थी और देवदत्त रावण था।

    ReplyDelete