Tuesday, May 17, 2011

Lord Badrinath was reportedly a Buddhist monastery???




Lord Badrinath was reportedly a Buddhist monastery ........................

Bderinathce famous abode of the Hindu-called gate opened on May 9 that it was a Buddhist monastery, under which anti-Buddhist Shankaracharya had put a black stone which still They Badrinath (Lord Vishnu temple reportedly) agree on Buddhism won the wake of the atrocities sample lived here that the Buddhist Tibet Shankarchary chased them when the public asked the seer if he Inhone where Buddhist monk said that he went to Tibet for the care later in Hindu books Lord Shiva's abode here was written by Vishnu which appeal to me that these two gave the Shiva Vishnu it
Lot of it is testimony to the Buddhist monastery, you see its art ...... these Buddhist art is from the old temple and a Hindu temple then is the art
Murthia Vishnu temples are found all but lifted from the river a round seer stone placed here Dkakara of flowers which keep these people will get a picture of you in all the temples, but only to Badrinath will be able to find the face of the door that the photo here That door has Algaean photo is for security reasons many people say so-called security reasons but are now already a few were not born
In addition to the priest in the temple sanctorum No. What the hell can not be a distinction there?

1 comment:

  1. Tirupati Balaji was a Budhhist Shrine यह 30 अध्याय की यह पुस्तक श्री जमनादास जी ने लिखी है जो की एक आंबेडकरवादी है और इस पुस्तक के जरिये भारत के लगभग हर बड़े हिंदू तीर्थ को बोद्ध मंदिर बताने की कोशिश की है ।
    मुझे जमनादास की इस पुस्तक को गलत सिद्ध करने के लिए 30 अध्याय की पुस्तक लिखने की जरुरत नहीं क्युकी तिरुपति का उल्लेख एक भी बोद्ध ग्रंथ में नहीं ,तो क्या स्वयं गौतम बुद्ध जमनादास जी को सपने में बताकर गए थे की तिरुपति एक बोद्ध मंदिर है ? तिरुपति आदि हिंदू मंदिरों को बोद्ध मंदिर सिद्ध करने के लिए जो तर्क जमनादास जी ने दिए है वे बचकाने है ,जैसे की वनवासी या आदिवासी बोद्ध ,यदि वनवासी बोद्ध होते तो उनके कर्म काण्डो में आज भी बोद्ध धर्म के अंश होते जो की नहीं है ,साथ ही एक और तर्क यह भी है की इन मंदिरों में दलितों को आने की इज़ाज़त है जो इन मंदिरों के बोद्ध होने की पुष्टि करता है ,हा जैसे की बोद्ध अपने मंदिरों में दलितों को जाने देते थे ,लालिताविस्तारासुत्त में गौतम बुद्ध कहते है की बोधिसत्व केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल जैसे पवित्र कुल में ही जन्म ले सकता है ।बोद्ध धर्म दलितों के लिए कितना भला सोचता है यह बताने की अब जरुरत नहीं । चुकी तिरुपति दंतिवार्मन पल्लव के काल में बना था इसीलिए यह सिद्ध होता है की वह कोई बोध मंदिर नहीं था जिसको बाद में हिंदू बना दिया गया । बालाजी की मूर्ति में जनेउ भी है और उनकी छाती पर लक्ष्मी जी है ,इसपर जमनादास कहते है की वे लक्ष्मी नहीं बल्कि एक बोद्ध देवी है जिसे ब्राह्मणों ने लक्ष्मी बना दिया जो की गलत है साथ ही जमनादास कहते है की बालाजी की या विष्णु जी की मूर्ति में कोई हथियार नहीं अर्थात वह हिंदू मूर्ति नहीं ,पहले तो यह बताओ की कहा लिखा है की हिंदू मूर्तियों में देवताओ के हाथ में हथियार होना ही चाहिए ?? श्री कृष्ण जी की कई मूर्तियों में हथियार नहीं बल्कि बांसुरी है ,तो क्या श्री कृष्ण जी भी गौतम बुद्ध थे ?सिलाप्पतिकाराम यह एक बोद्ध ग्रंथ है और इसमें उल्लेख है की एक ब्राह्मण तिरुमल्लाई पर्वत जाता है जहा तिरुपति स्थित है ,वहा वह एक विष्णु मंदिर में भजन गाता है और वह मंदिर और कोई नहीं बल्कि तिरुपति बालाजी ही है ।
    खुद बोद्ध ग्रंथ कहते है की तिरुपति कोई बोध मंदिर नहीं अपितु एक हिंदू मंदिर है ।

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