एक खबर पढ़ी कि अब भावी दूल्हे/दुल्हन की जासूसी का व्यवसाय खूब जोरों पर है
। दोनों पक्ष लड़के लड़की की जासूसी पर अच्छे खासे पैसे खर्च करने लगे हैं ।
शादी में अब इतने पैसे खर्च किये जाते
हैं कि दोनों पक्ष आश्वस्त हो जाना चाहते हैं . अरेंज मैरेज में पहले से ही
दहेज़ ,जात-पात,दिखावा बहुत सारी बीमारियाँ हैं ।एक ख्याल आया अगर कोई आदेश
पारित कर अरेंज मैरिज पर रोक लगा दी जाए तो कितनी सारी बुराइयां एक झटके
में ख़त्म हो जायेंगी ।हालाँकि यह संभव नहीं पर कल्पना की उड़ान ही सही
अरेंज मैरिज में लड़के /लड़की के माता -पिता ही शादी का सारा इंतजाम करते हैं ।दिखावे में अपनी ज़िन्दगी की गाढ़ी कमाई खर्च कर डालते हैं ।दूल्हे /दुल्हन के भी कम नखरे नहीं होते . लड़की को एक लाख का लहंगा चाहिए तो लड़का मर्सिडीज़ में ही द्वार पर आएगा. ढेरों गहने ,कीमती कपडे जो बाद में लॉकर और आलमीरा की ही शोभा बढाते रहते हैं, पर शादी की शोभा बढाने के लिए चाहिए जरूर. अगर लड़के ,लड़की खुद अपनी शादी का इंतजाम करेंगे तो इतना ताम झाम नहीं कर पायेंगे ।अपनी पसंद के जीवनसाथी के चुनाव में जाति /धर्म भी शायद बाधक न बने । माता-पिता जो सारी ज़िन्दगी बच्चों की पढाई-शादी के लिए ही पैसे जोड़ते रहते हैं, वे उन्हें अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के बाद ,देश-दुनिया देखने के और ऐसे ही अपने, दूसरे अरमान पूरे कर पायेंगे. लड्की /लड़के भी ताजिंदगी जो एक कसक मन में संजोये रहते हैं कि परिवार/समाज के डर से अमुक से अपने दिल की बात नहीं कह पाए . प्रपोज़ करने और स्वीकार या रिजेक्ट कर दिए जाने पर इस अपराधबोध से मुक्त हो सकेंगे . हाँ, आह-कराह भरी कविता लिखने/पढने में थोड़ी कमी जरूर आ जायेगी पर ऐसा कभी हो तब न :(:(
अरेंज मैरिज में लड़के /लड़की के माता -पिता ही शादी का सारा इंतजाम करते हैं ।दिखावे में अपनी ज़िन्दगी की गाढ़ी कमाई खर्च कर डालते हैं ।दूल्हे /दुल्हन के भी कम नखरे नहीं होते . लड़की को एक लाख का लहंगा चाहिए तो लड़का मर्सिडीज़ में ही द्वार पर आएगा. ढेरों गहने ,कीमती कपडे जो बाद में लॉकर और आलमीरा की ही शोभा बढाते रहते हैं, पर शादी की शोभा बढाने के लिए चाहिए जरूर. अगर लड़के ,लड़की खुद अपनी शादी का इंतजाम करेंगे तो इतना ताम झाम नहीं कर पायेंगे ।अपनी पसंद के जीवनसाथी के चुनाव में जाति /धर्म भी शायद बाधक न बने । माता-पिता जो सारी ज़िन्दगी बच्चों की पढाई-शादी के लिए ही पैसे जोड़ते रहते हैं, वे उन्हें अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के बाद ,देश-दुनिया देखने के और ऐसे ही अपने, दूसरे अरमान पूरे कर पायेंगे. लड्की /लड़के भी ताजिंदगी जो एक कसक मन में संजोये रहते हैं कि परिवार/समाज के डर से अमुक से अपने दिल की बात नहीं कह पाए . प्रपोज़ करने और स्वीकार या रिजेक्ट कर दिए जाने पर इस अपराधबोध से मुक्त हो सकेंगे . हाँ, आह-कराह भरी कविता लिखने/पढने में थोड़ी कमी जरूर आ जायेगी पर ऐसा कभी हो तब न :(:(
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