शुक्रवार, 17 अगस्त, 2012 को 18:18 IST तक के समाचार
इतना ही नहीं चिंता की बात ये है कि विकासशील देशों में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है.
मुंबई में रह रहीं एक महिला से बीबीसी ने विशेष बातचीत कर धूम्रपान के उनके इस शौक की वजह समझने की कोशिश की.
सिगरेट पीने की शुरुआत कॉलेज के दिनों में हुई थी. मस्ती-मस्ती में शुरुआत हुई और फिर धीरे-धीरे आदत पड़ गई.
मुझ पर दोस्तों का दबाव नहीं था कि सिगरेट पियो लेकिन मुझे ट्राइ करना था और मैंने किया. उस उम्र में ऐसा होता है कि आप हर चीज़ ट्राइ करके देखना चाहते हैं.
जब मैंने सिगरेट पीना शुरू किया था तो ऐसा कुछ सामाजिक बहिष्कार नहीं हुआ. जो मेरे दोस्तों का सर्कल था उसमें सिगरेट पीना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन जब मैं पुणे पहुँची तो लगा कुछ अलग है. किसी लड़की को अगर कोई सिगरेट पीता देखे तो निगाहें अजीब सी हो जाती हैं.
मेरे परिवार में पता है कि मैं सिगरेट पीती हूँ. कोई नैतिक दबाव नहीं है लेकिन हाँ सेहत का हवाला देकर ज़रूर वो मुझे कहते हैं कि मुझे सिगरेट नहीं पीनी चाहिए.
शुरुआत में मुझे मेरे पिताजी ने सिगरेट पीते हुए देखा था. उन्होंने पूछा कि क्या तुम सिगरेट पीती हो, अगर हाँ तो निर्णय तुम्हारा ही होगा बस मैं इतना कहूँगा कि ये तुम्हारी ही जिंदगी पर असर डालेगा.
अब सिगरेट मेरे लिए तनाव से मुक्ति पाने का एक
तरीका है और मैं इसका आनंद लेती हूँ. अगर मुझे सिगरेट न मिले तो मैं
चिड़चिड़ी हो जाती हूँ और मुझे गुस्सा आने लगता है.
मुझे सड़क पर सिगरेट पीने में अच्छा नहीं लगता. लोग अजीब सी निगाहों से देखते हैं. इसलिए मैं ऑटो में बैठकर सिगरेट पीती हूँ.
हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता हैं. माना जाता हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है तो उसके कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. ये बड़ा ही बेतुका हैं क्योंकि सिगरेट का नैतिकता से कोई लेना-देना नहीं है.
यदि कोई लड़की सिगरेट पीती है तो इसका मतलब ऐसा नहीं है कि उसके सामने जो पहला इंसान आएगा वो उसके साथ सोने के लिए तैयार हो जाएगी.
लोग ऐसा ही समझते हैं कि जो लड़की सिगरेट पीती है वो किसी के भी साथ सो सकती है.
ये मैं सड़क पर चलने वालों की सोच के बारे में बात कर रही हूँ. मैं एडवर्टाइज़िंग में काम करती हूँ और वहां मुझे ऐसे किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता.
एक बार डॉक्टर ने मुझे डरा दिया था तो मैंने छोड़ने की कोशिश की पर एक दिन से ज्यादा नहीं कर पाई.
मुझे पता है कि मुझे एक दिन सिगरेट छोड़ना होगा क्योंकि मैं हमेशा सिगरेट पीते नहीं रह सकती. अगर ऐसा करूँगी तो जी नहीं पाऊंगी.
फिलहाल मैं सिगरेट का पूरा मज़ा लेती हूँ और जब तक मेरे दिल से आवाज़ ना आए तब मैं सिगरेट नहीं छोड़ सकती.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/08/120817_women_smoking_trend_pn.shtml
एक नए शोध के अनुसार भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कम धूम्रपान करती हैं लेकिन महिलाओं में ये चलन तेज़ी से बढ़ रहा है.
मेडिकल पत्रिका लांसेट में छपी रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में तंबाकू का इस्तेमाल अपनी जड़ें जमा रहा है.मुंबई में रह रहीं एक महिला से बीबीसी ने विशेष बातचीत कर धूम्रपान के उनके इस शौक की वजह समझने की कोशिश की.
रेवती की कहानी
मैं रेवती हूँ. मैं मुंबई में एडवर्टाइज़िंग कॉपीराइटर हूँ और दिन में लगभग 20 सिगरेट पी जाती हूँ.सिगरेट पीने की शुरुआत कॉलेज के दिनों में हुई थी. मस्ती-मस्ती में शुरुआत हुई और फिर धीरे-धीरे आदत पड़ गई.
मुझ पर दोस्तों का दबाव नहीं था कि सिगरेट पियो लेकिन मुझे ट्राइ करना था और मैंने किया. उस उम्र में ऐसा होता है कि आप हर चीज़ ट्राइ करके देखना चाहते हैं.
जब मैंने सिगरेट पीना शुरू किया था तो ऐसा कुछ सामाजिक बहिष्कार नहीं हुआ. जो मेरे दोस्तों का सर्कल था उसमें सिगरेट पीना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन जब मैं पुणे पहुँची तो लगा कुछ अलग है. किसी लड़की को अगर कोई सिगरेट पीता देखे तो निगाहें अजीब सी हो जाती हैं.
मेरे परिवार में पता है कि मैं सिगरेट पीती हूँ. कोई नैतिक दबाव नहीं है लेकिन हाँ सेहत का हवाला देकर ज़रूर वो मुझे कहते हैं कि मुझे सिगरेट नहीं पीनी चाहिए.
शुरुआत में मुझे मेरे पिताजी ने सिगरेट पीते हुए देखा था. उन्होंने पूछा कि क्या तुम सिगरेट पीती हो, अगर हाँ तो निर्णय तुम्हारा ही होगा बस मैं इतना कहूँगा कि ये तुम्हारी ही जिंदगी पर असर डालेगा.
तनाव-मुक्ति
क्या कहती है रिपोर्ट
मेडिकल पत्रिका लांसेट में छपी
रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में तंबाकू का इस्तेमाल अपनी जड़ें जमा
रहा है. इतना ही नहीं चिंता की बात ये है कि विकासशील देशों में धूम्रपान
करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है.
तीन अरब की कुल आबादी के 16 देशों में हुए शोध के अनुसार 48.6 प्रतिशत पुरुष तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं जबकि 11.3 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं.
खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं जल्द धूम्रपान करना शुरु करती हैं और ये उम्र लड़कों के ही समान है.
इस शोध में धूम्रपान के अलावा तंबाकू चबाना भी शामिल है. शोध के अनुसार रूस में धूम्रपान करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. रुस में 15 साल से ज्यादा उम्र के 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू सेवन करते हैं.
तीन अरब की कुल आबादी के 16 देशों में हुए शोध के अनुसार 48.6 प्रतिशत पुरुष तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं जबकि 11.3 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं.
खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं जल्द धूम्रपान करना शुरु करती हैं और ये उम्र लड़कों के ही समान है.
इस शोध में धूम्रपान के अलावा तंबाकू चबाना भी शामिल है. शोध के अनुसार रूस में धूम्रपान करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. रुस में 15 साल से ज्यादा उम्र के 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू सेवन करते हैं.
मुझे सड़क पर सिगरेट पीने में अच्छा नहीं लगता. लोग अजीब सी निगाहों से देखते हैं. इसलिए मैं ऑटो में बैठकर सिगरेट पीती हूँ.
हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता हैं. माना जाता हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है तो उसके कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. ये बड़ा ही बेतुका हैं क्योंकि सिगरेट का नैतिकता से कोई लेना-देना नहीं है.
यदि कोई लड़की सिगरेट पीती है तो इसका मतलब ऐसा नहीं है कि उसके सामने जो पहला इंसान आएगा वो उसके साथ सोने के लिए तैयार हो जाएगी.
लोग ऐसा ही समझते हैं कि जो लड़की सिगरेट पीती है वो किसी के भी साथ सो सकती है.
नैतिकता
मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों माना जाता हैं क्योंकि अगर एक आदमी सिगरेट पीता है ये एकदम साधारण बात मानी जाती है और सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़ा नहीं जाता.ये मैं सड़क पर चलने वालों की सोच के बारे में बात कर रही हूँ. मैं एडवर्टाइज़िंग में काम करती हूँ और वहां मुझे ऐसे किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता.
एक बार डॉक्टर ने मुझे डरा दिया था तो मैंने छोड़ने की कोशिश की पर एक दिन से ज्यादा नहीं कर पाई.
मुझे पता है कि मुझे एक दिन सिगरेट छोड़ना होगा क्योंकि मैं हमेशा सिगरेट पीते नहीं रह सकती. अगर ऐसा करूँगी तो जी नहीं पाऊंगी.
फिलहाल मैं सिगरेट का पूरा मज़ा लेती हूँ और जब तक मेरे दिल से आवाज़ ना आए तब मैं सिगरेट नहीं छोड़ सकती.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/08/120817_women_smoking_trend_pn.shtml
Nice post.
ReplyDelete