Friday, October 7, 2011

देश में 30 लाख हुआ दौलतमंदों का कुनबा

मुंबई, एजेंसी : देश की एक तिहाई आबादी भले ही गरीबी रेखा के नीचे रहती हो, लेकिन दौलतमंदों के कुनबे में भी लगातार इजाफा हो रहा है। अब तो दुनिया में सिर्फ अमेरिका ही बचा है, जहां भारत से ज्यादा धनी परिवार बसते हैं। इस कुनबे में सिर्फ वही धनी परिवार आते हैं, जिनके पास एक लाख डॉलर (करीब 50 लाख रुपये) से अधिक निवेश योग्य फंड हैं। भारत में ऐसे परिवारों की संख्या अब 30 लाख हो चुकी है। धनी परिवारों पर ग्लोबल मार्केट रिसर्च एजेंसी टीएनएस ने एक सर्वेक्षण किया है। इसके मुताबिक अमेरिका 3 करोड़ 10 लाख समृद्ध परिवारों के साथ अभी भी सबसे आगे है। जबकि भारत, चीन और ब्राजील कई यूरोपीय देशों को पछाड़ आगे आए हैं। इन परिवारों में महत्वपूर्ण निर्णय पुरुष ही लेते हैं। दुनिया में अलग-अलग जगहों पर इन धनियों की निवेश की आदतें भी अलग-अलग हैं। भारत (35 प्रतिशत), चीन (33) और जर्मनी (23) में जहां ये महंगी धातुओं (सोने-चांदी) में निवेश करना पसंद करते हैं। वहीं स्वीडन, नॉर्वे और नीदरलैंड में तीन प्रतिशत से भी कम इनमें निवेश की इच्छा रखते हैं। संख्या के लिहाज से भारत के लिए तीस लाख का आंकड़ा भले ही बड़ा दिखता हो, लेकिन जनसंख्या के अनुपात में यह बौना साबित होगा। जहां अमेरिका में 27 प्रतिशत दौलतमंद परिवार हैं, वहीं भारत में इनकी संख्या महज 1.25 प्रतिशत है। चीन में ऐसे परिवारों की संख्या कुल 0.75 प्रतिशत ही है। इस आधार पर तुलना करने पर लक्जगबर्ग सबसे अधिक समृद्ध दिखेगा। यहां 29 प्रतिशत धनी परिवार रहते हैं। आंकड़ों में यहां 89 हजार धनी परिवार हैं। कनाडा और सिंगापुर में ऐसे परिवार 20 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट का निष्कर्ष टीएनएस के व्यापार और वित्त निदेशक रेग वैन स्टीन के अनुसार यह सर्वे दिखाता है कि उभरते बाजारों में दौलतमंदों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आने वाले कुछ वर्षो में ये समृद्धि के नए केंद्र बनेंगे। भारत और चीन ने तो धनी परिवारों की सूची में जर्मनी और फ्रांस को पीछे छोड़ जगह बनाई है। अध्ययन का आधार टीएनस का सर्वे अमेरिका, भारत, चीन, कनाडा, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, बेल्जियम, संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल, हांगकांग, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया सहित 24 बाजारों पर आधारित है। इसे टीएनएस ग्लोबल एफ्लुएंट इंवेस्टर सर्वे नाम दिया गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2011-10-07&pageno=11

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