विज्ञापन खर्च में पिछले शासन के मुकाबले 700% की बढ़ोतरी!!!
वित्तीय वर्ष बिहार में मीडिया को दिए गए विज्ञापन पर खर्च (करोड़ रु)2001-02 2.32 लालू-राबड़ी देवी2002-03 4.49 लालू-राबड़ी देवी2003-04 4.12 लालू-राबड़ी देवी2004-05 4.99 लालू-राबड़ी देवी2005-06 4.49 लालू-राबड़ी देवी(नीतीश कुमार नवंबर 2005 में CM बने)2006-07 5.40 नीतीश कुमार2007-08 9.65 नीतीश कुमार2008-09 27.52 नीतीश कुमार2009-10 34.59 नीतीश कुमार (विधानसभा चुनाव की तैयारी का साल)2010-11 28.52 नीतीश कुमार (नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए)
वर्ष 2010-11 में कुछ अखबारों को दिए गए विज्ञापन लाभ का ब्यौरा
दैनिक हिंदुस्तान – 10.12 करोड़ (लालू-राबड़ी देवी शासन काल के आखिरी वर्ष में किए गए कुल सालाना विज्ञापन खर्च से रकम दोगुनी है।दैनिक जागरण- 5.33 करोड़ (लालू-राबड़ी देवी शासन काल के आखिरी वर्ष के कुल सालाना विज्ञापन खर्च से ज्यादा है यह रकम)आज-1.30 करोड़प्रभात खबर- 1.10 करोड़टाइम्स ऑफ इंडिया- ईटी- 1.13 करोड़कौमी तंजीम- 98 लाखफारूखी तंजीम- 62 लाखईटीवी-1.05 करोड़महुआ टीवी- 98 लाख
स्रोत – RTI 39/11-1542 सू.ज.स.वि. बिहार सरकार, पटना, दिनांक – 10 जून, 2011
प्रश्नकर्ता- श्री अरुण कुमार, शोध छात्र, जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (ऑल इंडिया बैकवर्ड स्टूडेंट्स फोरम)
अब इसके साथ इस तथ्य को जोड़िए कि बिहार में हिंदी और इंग्लिश के सबसे बड़े अखबार 'दैनिक हिंदुस्तान' और 'हिंदुस्तान टाइम्स' को चलाने वाली कंपनी HT Media के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नीतीश की पार्टी JD-U के सांसद एन के सिंह हैं। मालिकों के बोर्ड में अगर JD-U का सांसद होगा तो हिंदुस्तान अखबार का पत्रकार क्या खाकर पत्रकारीय स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी और निष्पक्ष पत्रकारिता की सोचेगा। नौकरी करनी है या नहीं?
शानदार खबर। धन्यवाद इस पर्दाफाश के लिए।
ReplyDeleteभई वाह. तभी कहूँ मीडिया केवल लालू के पीछे क्यों पड़ा रहता है. शायद उसे याद दिलाता रहता है कि देखो तुम तो मात्र हँसने की चीज़ हो. तुमने कुछ नहीं दिया था. नितीश कितने अच्छे राजनीतिज्ञ और मुख्य मंत्री हैं.
ReplyDeleteजमाना प्रचार का है.
ReplyDeleteAnother good expose link about Bihar Media
ReplyDeletehttp://jaisudhir.blogspot.com/2011/06/blog-post_13.html
तभी तो कहता हूँ इस मीडिया को भी RTI और लोकपाल के अंदर लाना चाहिए .......
ReplyDeleteजनमत निर्माण में इसी तरह मीडिया के कार्पोरेट समूहों की एकपक्षीयता हावी होती जा रही है...सत्ता के साथ मिलकर जम कर दोहन किया जा रहा है...
ReplyDelete