हमारे नेता और इलीट मेरिट और टैलेंट वाले डॉक्टरों से अपना इलाज कराने से इतना घबराते क्यों हैं। केंद्रीय सरकार के मेडिकल कॉलेजों से ओबीसी कोटा वाले डॉक्टरों की पहली खेप अभी आई नहीं है। 2008 में पहला दाखिला हुआ है। एम्स से लेकर देश के सारे मेडिकल कॉलेज तो टैलेंट वाले डॉक्टरों से भरे हुए हैं। मिसाल के तौर पर, RTI से पता चला है कि यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली में 100% प्रोफेसर, 97.2% एसो. प्रोफेसर और 79% एसिस्टेंट प्रोफेसर सवर्ण हैं।(RTI No- 6-4/2009, UGC,Dated- 7th Jan, 2011)
अभी सामाजिक गैरबराबरी बहुंत ज्यादा है। देश के 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के 2563 पद हैं। उनमें से सिर्फ 4 ओबीसी हैं। (RTI No- 6-4/2009, Central Universities, UGC,Dated- 7th Jan, 2011)ज्ञान पर चंद जातियों के कब्जे की वजह से देश में टैलेंट पूल बेहद सिंकुड़ा हुआ है। यह देश हित में नहीं है। इन सब जगहों पर जल्द से जल्द विविधता आनी चाहिए।
अभी सामाजिक गैरबराबरी बहुंत ज्यादा है। देश के 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के 2563 पद हैं। उनमें से सिर्फ 4 ओबीसी हैं। (RTI No- 6-4/2009, Central Universities, UGC,Dated- 7th Jan, 2011)ज्ञान पर चंद जातियों के कब्जे की वजह से देश में टैलेंट पूल बेहद सिंकुड़ा हुआ है। यह देश हित में नहीं है। इन सब जगहों पर जल्द से जल्द विविधता आनी चाहिए।
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