नई दिल्ली | राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (एनसीएमइआइ) ने जामिया विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा तय करने के बाद दिल्ली चार और कॉलेजों का स्वरूप तय कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध गुरु तेग बहादुर खालसा डिग्री कॉलेज, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज आफ कॉमर्स, गुरु नानकदेव खालसा कालेज और माता सुंदरी कॉलेज आफ वूमेन को भी अब अल्पसंख्यक दर्जा मिल गया है। एनसीएमइआइ के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) एमएसए सिद्दीकी व सदस्य मोहिंदर सिंह और साइरस थॉमस ने मंगलवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। बीते 2008 से आयोग में चल रहे इस मामले का मूल वाद गुरु तेग बहादुर खालसा डिग्री कॉलेज को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान घोषित करने के लिये दायर किया गया था। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से दायर इस वाद में कहा गया था कि कालेज का प्रबंधन व संचालन शुरू से उसके द्वारा किया जा रहा है। उसकी स्थापना का उद्देश्य शुरू से समुदाय विशेष की शिक्षा रही है। जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना था कि कॉलेज की स्थापना करने वालों का नजरिया उसे कभी भी समुदाय विशेष की शिक्षा तक सीमित करने का नहीं रहा है। स्थापना का मकसद सभी समुदायों के छात्रों को शिक्षा प्रदान कराना था। उस समय इसे लेकर किसी समुदाय विशेष की बाबत अलग से कोई बात नहीं थी। आयोग में यह वाद चल ही रहा था कि बाद में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से संचालित तीन और कॉलेजों के अल्पसंख्यक दर्जे का भी मामला वहां पहंुच गया। आयोग ने बाद में चारों मामलों पर एक साथ सुनवाई शुरू कर दी। उन्हें लेकर बीते वर्षो में आये तथ्यों व सुबूतों के बाद आयोग ने मंगलवार को चारों कॉलेजों के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपनी मुहर लगा दी। गौरतलब है कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में 50 प्रतिशत तक सीटें उसी समुदाय के बच्चों के लिए आरक्षित हो सकती हैं। उनमें पिछड़े व अन्य वर्गो के लिए तय कोटा लागू नहीं होता है।
http://www.pressnote.in/Delhi-News_131631.html
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