Delhi University के 84 कॉलेजों में से 83 में SC/ST/OBC के प्रिसिपल नहीं हैं। यानी देश की 90% आबादी इस लायक नहीं मानी गई है कि वह भारत सरकार के पैसे से चलने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रिंसिपल के पद तक पहुंच पाए। लोकतांत्रिक देश में यह चमत्कार कैसे हो रहा है? आजादी के छह दशक बाद तो यह पूछना ही पड़ेगा कि यह देश संविधान से चल रहा है कि मनुस्मृति के विधान से?
No comments:
Post a Comment