Tuesday, May 31, 2011

गधी का दूध गाए से जयादा पोस्टिक होता है ??


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लंदन ।। कहा जाता है कि इजिप्ट की महारानी क्लियोपेट्रा अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए गधी के दूध का इस्तेमाल करती थीं। अब वैज्ञानिकों ने भी इसकी उपयोगिता साबित कर दी है। उनका मानना है कि गधी का दूध पीने से वजन कम हो सकता है।

वैज्ञानिक मानते हैं कि गधी का दूध पाने से न सिर्फ वजन असरकारी ढंग से कम होता है बल्कि यह हमारे दिल की रक्षा करने में भी मदद करता है। महारानी विक्टोरिया के समय में गधी के दूध का बहुत इस्तेमाल होता था। इसका कारण यह है कि इसमें फैट का मात्रा कम होती है और गाय के दूध की तुलना में इसमें पोषक तत्वों की संख्या काफी अधिक होती है।

नए रिसर्च ने इस पुरानी मान्यता की पुष्टि कर दी है कि गधी का दूध कई मायनों में गाय और बकरी के दूध से भी अच्छा होता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि गधी का दूध दिल के लिए भी अच्छा होता है क्योंकि इसमें ओमेगा-3 और छह प्रकार के फैटी एसिड पाए जाते हैं। ओमेगा-3 और फैटी एसिड शरीर में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करते हैं।

गुणों के आधार पर गधी का दूध इंसानी दूध जैसा ही होता है। इसलिए जिन बच्चों को सामान्य डेयरी प्रॉडक्टों से एलर्जी होती है, उन्हें गधी के दूध से बनी चीजें दी जा सकती हैं। इस दूध में कैल्शियम बहुत होता है, जो हड्डियों के लिए अच्छा है। एक रिसर्च से पता चला है कि गधी का दूध मानव मेटाबॉलिक प्रणाली पर बहुत कम दबाव डालता है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8606984.cms

1 comment:

  1. ईश्वरीय ज्ञान वेद में ईश्वर ने गोमाता को ‘‘गो सारे संसार की मां है” कहकर सम्मान दिया है। यजुर्वेद के पहले ही मन्त्र में गो की रक्षा करने का निर्देश ईश्वर की ओर से दिया गया है
    हमने स्वामी ओमानन्द सरस्वती जी की पुस्तक ‘गोदुग्ध अमृत है।’ में पढ़ा था कि एक निर्धन व असहाय किसान की आंखों की रोशनी चली गयी। उसके घर में एक गाय की बछिया थी जिसे उसका पुत्र पाल रहा था। कुछ महीनों बाद वह गाय बियाई तो घर में दुग्ध की प्रचुरता हो गई। कुछ ही दिनों में उस परिवार में चमत्कार हो गया। उस वृद्ध की आंखों की रोशनी गाय का दूध पीने से लौट आई। आज के समय का सबसे भयंकर रोग कैंसर है। इस रोग में भी गाय का मूत्र कारगर व लाभप्रद सिद्ध होता है। गोसदन में यदि क्षय रोगी को रखा जाये तो उसका रोग भी ठीक हो जाता है। महर्षि दयानन्द ने अपनी विश्व प्रसिद्ध पुस्तक गोकरुणानिधि में एक गाय की एक पीढ़ी से होने वाले दुग्ध और उसके बैलों से मिलने वाले अन्न की एक कुशल अर्थशास्त्री की भांति गणना की है और बताया है कि गाय की एक पीढ़ी से ‘दूध और अन्न को मिला कर देखने से निश्चय है कि 4,10,440 चार लाख दश हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का पालन एक बार के भोजन से होता है।’ मांस से उनके अनुमान के अनुसार केवल अस्सी मांसाहारी मनुष्य एक बार तृप्त हो सकते हैं। वह लिखते हैं कि ‘‘देखों, तुच्छ लाभ के लिए लाखों प्राणियों को मार असंख्य मनुष्यों की हानि करना महापाप क्यों नहीं?’’

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