नई दिल्ली. आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के स्तर की आलोचना कर चुके केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश के सुर शुक्रवार को बदले-बदले सुनाई दिए। जयराम रमेश इस मुद्दे पर यू-टर्न लेते हुए कहा कि मैं आईआईटी से 48 सालों तक जुड़ा रहा हूं, मुझे पता है कि वहां पढ़ाई-लिखाई का बेहतर माहौल है। कुछ दिनों पहले जयराम रमेश ने ‘आईआईटी और आईआईएम की उनके छात्रों के चलते अच्छे संस्थानों में गिनती की जाती है लेकिन इन संस्थानों के शिक्षकों का स्तर विश्व स्तर का नहीं है। आईआईटी और आईआईएम में उम्दा रिसर्च का काम भी नहीं होता है।’
देश के इन मशहूर संस्थानों पर सवाल उठाने के बाद रमेश न सिर्फ इन संस्थाओं में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों और पूर्व छात्रों के निशाने पर आ गए थे बल्कि उनकी ही सरकार के मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर उनकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा था कि आईआईटी और आईआईएम विश्व स्तरीय संस्थाएं हैं और वहां पढ़ चुके कई छात्र वहां प्रोफेसर बनते हैं। सिब्बल का कहना था कि अगर इन संस्थाओं के छात्र विश्व स्तरीय हो सकते हैं, तो वहां पढ़ाने वाले प्रोफेसर भी विश्व स्तरीय होंगे। जयराम रमेश के बयान की तीखी आलोचना हुई थी। कैबिनेट में रमेश के सहयोगी अश्विनी कुमार ने भी रमेश के बयानों की आलोचना करते हुए टिप्पणियों को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया था।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) को लेकर भले ही केंद्र सरकार के दो मंत्री आमने-सामने रहे हों लेकिन सच यही है कि दुनिया के नामी सौ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में आईआईटी और आईआईएम का नाम नहीं है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) को लेकर भले ही केंद्र सरकार के दो मंत्री आमने-सामने रहे हों लेकिन सच यही है कि दुनिया के नामी सौ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में आईआईटी और आईआईएम का नाम नहीं है।
2010 के लिए क्यूएस की ओर से जारी सूची के मुताबिक दुनिया के 500 शीर्ष विश्वविद्यालयों में आईआईटी, मुंबई का स्थान 187 वां है। वहीं, आईआईटी-दिल्ली का स्थान 202 है। वहीं, आईआईएम का नाम भी चोटी के संस्थानों में शुमार नहीं है। हालांकि, आईआईएम-अहमदाबाद का नाम बिजनेस स्कूलों की सूची में जरूर शामिल है। फाइनेंशियल टाइम्स की ओर से बिजनेस स्कूलों के लिए 2010 में जारी सूची में आईआईएम अहमदाबाद को 8 वीं रैंकिंग जरूर दी गई थी। देश के विश्वविद्यालयों की यह स्थिति है कि 2010 की क्यूएस की ओर से जारी सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय की 371 वीं रैंकिंग है। अन्य भारतीय विश्वविद्यालय इससे नीचे की रैंकिंग पर हैं।
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