स्टार न्यूज़
जाग गया. स्टार न्यूज़ के एडिटर शाजी ज़मा जाग गए. अचानक से स्टार न्यूज़
को निर्मल बाबा में खोट - ही - खोट नज़र आने लगा. उनकी 'किरपा' में पाखंड और
अंधविश्वास नज़र आने लगा. एकबारगी तो यही लगता है कि स्टार न्यूज़ का विवेक
जाग है और उसने बाबा के पाखंड को उजागर करने का निश्चय कर लिया है. लेकिन
क्या ऐसा वाकई में है या फिर तस्वीर का कोई दूसरा पहलू भी है?
स्टार न्यूज़ पर
प्रतिदिन सुबह 5.40 पर 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' कार्यक्रम का प्रसारण
होता है. दूसरे चैनलों की तरह यहाँ भी कई पिछले काफी समय से निर्मल बाबा का
कार्यक्रम बिना किसी के बाधा के चल रहा था. निर्मल बाबा को लेकर ऑनलाइन
मीडिया और मीडिया वेबसाईट के द्वारा बार- बार सवाल उठाये जाने के बावजूद
स्टार न्यूज़ की तरफ से न कोई प्रतिक्रिया आयी और न बाबा पर कोई खबर चली.
यह वही चैनल है जहाँ कंटेंट में सुधार के दृष्टिकोण से कुछ महीनों पहले
ज्योतिष और धर्म से संबंधित सारे कार्यक्रमों को बंद कर दिया गया था. लेकिन
बाद में चैनल 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' नाम के प्रायोजित कार्यक्रम को
चलाने लगा. यहाँ स्टार न्यूज़ की नियत पर भी सवाल खड़े होते हैं. एक तरफ
स्टार न्यूज़ कंटेंट में सुधार की बात करता है, धर्म के नाम पर अंधविश्वास
को खत्म करने की बात करता है. लेकिन दूसरी तरफ निर्मल बाबा का विज्ञापन
दिखाकर अंधविश्वास को बढ़ावा देता है और एक दिन अचानक चैनल को समझ में आता
है कि उसके स्क्रीन को इस्तेमाल कर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मुझे नहीं लगता स्टार न्यूज़ के एडिटर और मैनेजमेंट इतने मासूम हैं.
सूत्रों की माने तो असली खबर ये है कि स्टार न्यूज़ और निर्मल बाबा के संस्थान के बीच जो करार चल रहा था उसके अनुसार 11 अप्रैल को इसे रिन्यू करना था जो निर्मल बाबा ने नहीं किया. स्टार की मार्केटिंग टीम ने काफी कोशिश की, लेकिन रिन्यू कराने में सफल नहीं हुए. क्योंकि बाबा की मार्केटिंग टीम ने स्टार की टाइमिंग को लाखों रूपये मूल्य के लायक नहीं समझा क्योंकि सुबह इतने सवेरे देखने वाले कम लोग होते हैं. थक-हार कर स्टार ने इसके खिलाफ बोलना अब शुरू किया है.
ख़ैर पूरा सच क्या है , यह तो राम ही जाने, लेकिन बात पूरी तरह गलत भी नहीं मालूम पड़ती. स्टार न्यूज़ की खबर में कुछ ऐसी बातें हैं जिससे शक और गहराता है. चैनल कल से लेकर आज सुबह तक निर्मल बाबा पर लगातार खबरें चला रहा था. खबर के दौरान यह भी कहा जाता है कि पिछले एक महीने से स्टार न्यूज़ पड़ताल कर रहा है. लेकिन इस एक महीने की पड़ताल में स्टार न्यूज़ ने ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया जो कुछ अलग हो. स्टार न्यूज़ जो दिखा रहा है वो सब वेब मीडिया के जाबांज पहले ही प्रचारित - प्रसारित कर चुके हैं. स्टार न्यूज़ बाबा के खिलाफ खबरें दिखा रहा है, यह काबिलेतारीफ है, लेकिन एक महीने की जांच-पड़ताल वाली बात हजम नहीं हो रही. यदि वाकई में एक महीने स्टार न्यूज़ ने छान-बीन की है तो सवाल उठता है कि स्टार न्यूज़ के रिपोर्टर छान - बीन कर रहे थे या फिर झक मार रहे थे. यह काम तो वेब मीडिया ने एक हफ्ते में कर दिया और निर्मल बाबा के पूरे इतिहास - भूगोल को खंगाल डाला.
बात साफ है कि निर्मल बाबा के खिलाफ स्टोरी चलाना और विज्ञापन को बंद करना स्टार न्यूज़ की विवशता है, इसमें सरोकार वाली कोई बात है, इसपर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता. बिहार में एक कहावत है - 'जात भी गंवाया और भात भी नहीं खाया'. स्टार न्यूज़ की स्थिति कुछ वैसी ही हो गयी है.http://mediakhabar.com/news-channel-/channel-scan/3797-nirmal-baba-and-star-news-.html
सूत्रों की माने तो असली खबर ये है कि स्टार न्यूज़ और निर्मल बाबा के संस्थान के बीच जो करार चल रहा था उसके अनुसार 11 अप्रैल को इसे रिन्यू करना था जो निर्मल बाबा ने नहीं किया. स्टार की मार्केटिंग टीम ने काफी कोशिश की, लेकिन रिन्यू कराने में सफल नहीं हुए. क्योंकि बाबा की मार्केटिंग टीम ने स्टार की टाइमिंग को लाखों रूपये मूल्य के लायक नहीं समझा क्योंकि सुबह इतने सवेरे देखने वाले कम लोग होते हैं. थक-हार कर स्टार ने इसके खिलाफ बोलना अब शुरू किया है.
ख़ैर पूरा सच क्या है , यह तो राम ही जाने, लेकिन बात पूरी तरह गलत भी नहीं मालूम पड़ती. स्टार न्यूज़ की खबर में कुछ ऐसी बातें हैं जिससे शक और गहराता है. चैनल कल से लेकर आज सुबह तक निर्मल बाबा पर लगातार खबरें चला रहा था. खबर के दौरान यह भी कहा जाता है कि पिछले एक महीने से स्टार न्यूज़ पड़ताल कर रहा है. लेकिन इस एक महीने की पड़ताल में स्टार न्यूज़ ने ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया जो कुछ अलग हो. स्टार न्यूज़ जो दिखा रहा है वो सब वेब मीडिया के जाबांज पहले ही प्रचारित - प्रसारित कर चुके हैं. स्टार न्यूज़ बाबा के खिलाफ खबरें दिखा रहा है, यह काबिलेतारीफ है, लेकिन एक महीने की जांच-पड़ताल वाली बात हजम नहीं हो रही. यदि वाकई में एक महीने स्टार न्यूज़ ने छान-बीन की है तो सवाल उठता है कि स्टार न्यूज़ के रिपोर्टर छान - बीन कर रहे थे या फिर झक मार रहे थे. यह काम तो वेब मीडिया ने एक हफ्ते में कर दिया और निर्मल बाबा के पूरे इतिहास - भूगोल को खंगाल डाला.
बात साफ है कि निर्मल बाबा के खिलाफ स्टोरी चलाना और विज्ञापन को बंद करना स्टार न्यूज़ की विवशता है, इसमें सरोकार वाली कोई बात है, इसपर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता. बिहार में एक कहावत है - 'जात भी गंवाया और भात भी नहीं खाया'. स्टार न्यूज़ की स्थिति कुछ वैसी ही हो गयी है.http://mediakhabar.com/news-channel-/channel-scan/3797-nirmal-baba-and-star-news-.html
ख़ैर पूरा सच क्या है , यह तो राम ही जाने,
ReplyDeleteयाद है सुधीर बाबू एक बार मैंने इसी ब्लॉग पर कमैंट किया था उसमे राम राम कहने पर आपने कहा था कि राम नाम की गाली मत दो, और आज ऊपर के वाक्य में यानि कि लेख के चौथे पैरे में सुधीर बाबू स्वयं राम ही जाने कह रहे हो, क्या हुआ जो आज खुद अपने आप को गाली दे रहे हो? हा हा हा हा हा, क्या बात हाथी के दाँत दिखाने के और व खाने और होते है कहीं वैसा मामला आपका तो नहीं? स्पष्ट करे।
mr devta dusro ki choti choti galtiyan nikalna band karen ........
DeleteDear Sir,
ReplyDeleteI've not write this artical it is just a copy-paste form Media Khabar site.
I found this information is usefull for my readers so i put this artical here.