Volume 01. Bala kanda
Volume 02. Ayodhya Kanda (Purvardh)
Volume 03. Ayodhya Kanda (Uttarardh)
Volume 04. Aranya Kanda
Volume 05. Kishkinda Kanda
Volume 06. Sundara Kanda
Volume 07. Yuddha Kanda (Purvardh)
Volume 08. Yuddha Kanda (Uttarardh)
Volume 09. Uttara Kanda (Purvardh)
Volume 10. Uttara Kanda (Uttarardh)
Volume 02. Ayodhya Kanda (Purvardh)
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Volume 09. Uttara Kanda (Purvardh)
Volume 10. Uttara Kanda (Uttarardh)
Volume 04. Kanda (Uttarardh)
अरे ये कैसा गजब है अभी कुछ दिन पहले तो जब मैंने जय श्रीराम/ राम-राम जी कहा था तो तुम्हे बडा कष्ट हुआ था जैसे कि तुम सनातन धर्म/हिन्दू ना होकर इसाई हो, व बदले में तुमने ये तक कह दिया था कि राम नाम की गाली ना दो, फ़िर मैंने कहा था कि राम-राम गया तेल लेने, लेकिन आज क्या हुआ, आज तेल लेने वाली लाईन में तुहारा नम्बर कैसे आ गया है? ये प्रचार कैसा?
ReplyDeleteu r always saying nonsense kabhi dhang ki baat bhi kar liya karo sandip oh sorry devta jaat devta
Deleteबढ़िया है.
ReplyDeleteसंदीप जी .....जरा आप उत्तरकाण्ड भाग 10 पड़े आप के सामने राम का असली चेहरा सामने आ जएगा.
ReplyDeleteसंदीप जी ........राम के जातिवादी और स्त्रीविरोधी चेहरे को सामने लाने के मैंने वाल्मीकि रामायण का लिंक एड किया है.
ReplyDeleteआज की सच्चाई ये है की खुद दलित ही दलित के साथ भेदभाव कर रहा है।
ReplyDeleteसही कहा आपने दलित ही दलित से भेदभाव कर रहा हैं ओर इसका फायदा कोई तीसरा उठा रहा है लेकिन वो भूल रहे है की चाहे वो कितना भी भेदभाव करले खुद भी हमेशा दलित रहेंगे
Deleteमर्यादापुरुषोत्तम श्री राम ऐसे ही एक महापुरुष के जन्मकाल के समय पर जो लाखो वर्षो से भारतीय जनमानस ही नहीं अपितु दुनिया के सभी मनुष्यो के लिए एक आदर्श रहा है, एक ऐसा मनुष्य जो पुत्र, पति, भाई, मित्र यहाँ तक की एक शत्रु के लिए भी आदर्श बन गया। आज हम ऐसे आदर्श श्री राम के जन्म काल गणना पर विचार करेंगे।
ReplyDeleteयज्ञ की समाप्ति के पश्चात् 6 ऋतुएं बीत गईं, तब बारहवें मास चैत्र के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में कौशल्या देवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त श्रीराम को जन्म दिया। उस समय पांच ग्रह अपने-अपने उच्च स्थानों पर विद्यमान थे। ऋषि वाल्मीकि ने अपनी रामायण में इस प्रकार की ग्रह स्थिति में श्री राम के जन्म का उल्लेख किया है –
सूर्य, मंगल, शनि, बृहस्पति, शुक्र ग्रह मेष मकर तुला कर्क मीन में थे। चैत्र के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि श्री राम की जन्मतिथि होने से अब रामनवमी के नाम से प्रसिद्ध है।
इतना तो सिद्ध है, ग्यारह लाख, छियानवे हजार एक सौ सौलह वर्ष तो श्री राम के जन्म हुए कम से कम हो ही चुके हैं। अभी हाल में ही अमेरिका के एक खोजी उपग्रह ने श्री रामेश्वरम से श्री लंका तक श्रीराम द्वारा बनाए गए त्रेतायुग के पुल को 17.5 लाख वर्ष पुराना माना है।