http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2011-09-12&pageno=2#id=111720857431502854_49_2011-09-12
ठ्ठएसके गुप्ता, नई दिल्ली ग्रह नक्षत्र की चाल से ख्याति का सफर तय करने के लिए ज्योतिष की पढ़ाई का क्रेज छात्रों में बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि डीयू के एमए संस्कृत में ज्योतिष पढ़ने वाले छात्र की संख्या बढ़ी है। लेकिन उनकी कक्षाएं नहीं लग रही हैं। खबर है कि संस्कृत विभाग में ज्योतिष की कक्षाएं अभी तक न लगने की वजह प्राध्यापक का न होना तो है ही इसके अलावा एक अनुसूचित जाति की छात्रा भी मुख्य वजह है, जिसने ज्योतिष विषय को पढ़ने की जिद पकड़ी हुई है। उसने इसकी शिकायत डीयू कुलपति से भी की। समस्या का समाधान न होने पर छात्रा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत लेकर पहुंची। आयोग ने डीयू से स्पष्टीकरण मांगा है। डीयू संस्कृत विभाग में एमए अंतिम वर्ष की छात्रा सरिता ने बताया कि 21 जुलाई से तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। इसमें 9 ऑप्शनल विषयों में से एक विषय हर छात्र को पढ़ना होता है। मैने ऑप्शनल के रूप में ज्योतिष विषय चुना है। विभाग ने 5 अगस्त तक सभी छात्रों से ऑप्शनल विषय के फॉर्म भरवाकर जानकारी मांगी। इससे पहले विभागीय प्राध्यापक यह कह रहे थे कि तुम अकेली छात्रा हो इसलिए ज्योतिष पढ़ाने वाले शिक्षक का इंतजाम नहीं हो सकेगा। जबकि गत वर्ष अकेले छात्र को ज्योतिष विषय ऑप्शनल के रूप में पढ़ाया गया था क्योंकि वह छात्र जाति से ब्राह्मण था। ऑप्शनल के फॉर्म में पांच छात्रों ने ज्योतिष पढ़ने की इच्छा जाहिर की। प्राध्यापकों के दबाव में यह संख्या 5 से घटकर 3 हो गई। मुझे संस्कृत के विभागाध्यक्ष डा. मिथलेष कुमार चतुर्वेदी ने मिलने के लिए बुलाया तो अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में मैं उनके कार्यालय पहुंची। उन्होंने कार्यालय से बाहर निकलकर बरामदे में कहा कि ज्योतिष तुम्हारी जाति के लोगों के लिए नहीं है। मैने इसकी शिकायत 13 अगस्त को कुलपति प्रो. दिनेश सिंह को ई-मेल के माध्यम से की। वहां से समस्या निदान के प्रति आश्वासन तो मिला, लेकिन समाधान नहीं हुआ। 15 दिन इंतजार के बाद सरिता ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में अपनी शिकायत दी। आयोग ने डीयू प्रशासन से पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। सरिता का कहना है कि वह केवल इतना चाहती है कि ज्योतिष की कक्षाएं शुरू हों और वह ज्योतिष पढ़ सके। इसके अलावा उसे किसी से कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2004 के एक निर्णय में कहा है कि ज्योतिष हर जाति का छात्र पढ़ सकता है।
सरिता की फाइटिंग स्पिरिट की प्रशंसा करनी पड़ेगी. वैसे मैं समझता हूँ कि ये लोग कक्षा में इस जागरूक दलित लड़की के प्रश्नों से घबरा रहे होंगे.
ReplyDeletekeep going sarita
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