Manisha Pandey
मैं किसी हवा-हवाई कल्पना के आधार पर नहीं कह रही हूं। ये बचपन से लेकर आज तक सैकड़ों लोगों से बातचीत, डिसकशन, मेरे फेसबुक पोस्ट पर आए कमेंट और इनबॉक्स मैसेजेज के आधार पर निकाला गया नतीजा है, जिसे प्रूव करने के लिए मेरे पास बहुत ठोस प्रमाण हैं।नतीजा ये है कि ये सभी चीजें आपस में ड़ी हुई हैं।
1- औरतों की आजादी और बराबरी का विरोध करने वाले और फीमेल वर्जिनिटी को आसमान पर बिठाकर उसकी पूजा करने वाले अधिकांश लोग समाज की सो कॉल्ड ऊंची, दबंग जातियों के हैं।
2- औरतों की आजादी का विरोध करने वाले अधिकांश ऊंची, दबंग जातियों के लोग अयोध्या या देश के किसी भी कोने में मंदिर बनवाए जाने के आइडिया को लेकर लहालोट हो जाते हैं।
3- औरतों की आजादी के विरोधी और मंदिर समर्थक अधिकांश ऊंची, दबंग जातियों के लोग मोदी सपोर्टर हैं।
4- औरतों की आजादी के विरोधी, मंदिर समर्थक और मोदी सपोर्टर अधिकांश ऊंची, दबंग जातियों के लोग आरक्षण और दलितों के अधिकारों के घोर खिलाफ हैं।
5- औरतों की आजादी के विरोधी, मंदिर समर्थक, मोदी सपोर्टर और आरक्षण विरोधी अधिकांश ऊंची, दबंग जातियों के लोग मुसलमानों को छठी का दूध याद दिलाना चाहते हैं।
ये सारी चीजें एक-दूसरे से ऐसे जुड़ी हैं। इस कदर कि इन्हें अलग करके देखना मुश्किल है।
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