पटना हाईकोर्ट ने बिहार के जहानाबाद जिले के
लक्ष्मणपुर बाथे गांव में हुए हत्याकांड के सभी 26 अभियुक्तों को बरी कर
दिया है। इनमें से 16 को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
58 दलितों के नरसंहार के इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया है। जस्टिस वीएन सिन्हा और एके लाल की पीठ ने अभियुक्तों की अपील पर यह फैसला सुनाया है।
पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि बचाव पक्ष के गवाह विश्वसनीय नहीं हैं। इसलिए सभी दोषी संदेह का लाभ मिलने के हकदार हैं। कोर्ट ने 27 जुलाई को मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कथित रूप से जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में रणवीर सेना ने 58 दलितों की एक साथ हत्या कर दी थी। इनमें 27 महिलाएं और 16 बच्चे शामिल थे। यह इलाका पटना से करीब 125 किलोमीटर दूर है।
दरअसल रणवीर सेना ने यह हत्याकांड बदले की भावना से किया था।
1992 में नक्सलियों के एक गुट ने ऊंची जाति के 37 लोगों की हत्या कर दी थी। रणवीर सेना को शक था कि दलितों ने नक्सलियों को इस हत्याकांड में मदद की थी।
लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड में 7 अप्रैल 2010 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज विजय प्रकाश मिश्रा ने 16 को मृत्युदंड और 10 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्याकांड को 'समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम हत्याकांड' बताया था।
घटना के समय लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस घटना को नहीं रोक पाने के लिए लालू सरकार की कड़ी आलोचना भी हुई थी।
58 दलितों के नरसंहार के इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया है। जस्टिस वीएन सिन्हा और एके लाल की पीठ ने अभियुक्तों की अपील पर यह फैसला सुनाया है।
पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि बचाव पक्ष के गवाह विश्वसनीय नहीं हैं। इसलिए सभी दोषी संदेह का लाभ मिलने के हकदार हैं। कोर्ट ने 27 जुलाई को मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कथित रूप से जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में रणवीर सेना ने 58 दलितों की एक साथ हत्या कर दी थी। इनमें 27 महिलाएं और 16 बच्चे शामिल थे। यह इलाका पटना से करीब 125 किलोमीटर दूर है।
दरअसल रणवीर सेना ने यह हत्याकांड बदले की भावना से किया था।
1992 में नक्सलियों के एक गुट ने ऊंची जाति के 37 लोगों की हत्या कर दी थी। रणवीर सेना को शक था कि दलितों ने नक्सलियों को इस हत्याकांड में मदद की थी।
लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड में 7 अप्रैल 2010 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज विजय प्रकाश मिश्रा ने 16 को मृत्युदंड और 10 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्याकांड को 'समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम हत्याकांड' बताया था।
घटना के समय लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस घटना को नहीं रोक पाने के लिए लालू सरकार की कड़ी आलोचना भी हुई थी।
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