रैदास की तस्वीर में वे जूता बनाते दिखाए जाते हैं, कबीर जुलाहे के रूप में
रैदास ने तो ज्यादा असरदार और काम का लिखा है. उनके हाश में भी कलम थमाएं.
लेकिन जिस तुलसी ने खुद
लिखा कि "मांग के खइबो/मसीद में
सोइबो"...उस तुलसी को भिखारी के रूप में क्यों नहीं दिखाया जाता?
उनकी तस्वीर में वे हमेशा कागज-कलम लेकर लिखते दिखाए जाते हैं.....कोई
स्पेशल बात है क्या?
दिलीप मंडल सर से साभार
No comments:
Post a Comment