Sunday, September 29, 2013

जवानी से शुरू होते हैं और बुढ़ापे तक खत्‍म नहीं होते इंडियन हसबैंड के ऑर्डर। तौबा है इनसे तो


Manisha Pandey
इस साल सु्प्रीम कोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट बनाई गई मीनाक्षी अरोड़ा का मैंने पिछले दिनों इंटरव्‍यू किया था। उन्‍होंने एक इंटरेस्टिंग बात कही कि शादी के 27 सालों में आज तक उनके पति ने कभी उनसे एक गिलास पानी भी नहीं मांगा। जो भी जरूरत हो, खुद उठकर लेते हैं। वो बोलीं कि कई बार अगर मैं खुद किचन में हूं या घर में इधर-उधर टहल रही हूं तो भी मुझसे नहीं कहते। खुद ही उठेंगे। मैं कहूं कि अरे तुम क्‍यों उठे, मुझे ही बोल देते तो उनका जवाब होता है - "You are wife, not my made."

और सबसे इंटरेस्टिंग बात पता है क्‍या है।
उनके पति जर्मन हैं, इंडियन नहीं।
वरना भारतीय पुरुष तो दिन भर अपनी पत्नियों को ऑर्डर ही लगाते रहते हैं।
- ये लाओ
- वो लाओ
- जरा पानी देना
- एक कप चाय मिलेगी
- जरा मेरा चश्‍मा उठा दो
- आज आलू के पराठे खाने का मन है
- जरा नारियल तेल तो देना
- अरे मेरी बनियान कहां रखी है
- तौलिया कहां चला गया
- इनकम टैक्‍स के पेपर दिए थे तुम्‍हें रखने को। कहां हैं।
जवानी से शुरू होते हैं और बुढ़ापे तक खत्‍म नहीं होते इंडियन हसबैंड के ऑर्डर। तौबा है इनसे तो।

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