मोहम्मद मोईन, एबीपी न्यूज़ ब्यूरो
Friday, 11 January 2013 09:09
Friday, 11 January 2013 09:09
इलाहाबाद:
संगम नगरी इलाहाबाद के कुंभ मेले में निकाली गई बड़े पंचायती अखाड़े की
पेशवाई में योग गुरु बाबा रामदेव चांदी के सिंहासन पर सवार होकर निकले.
इस पर दूसरे अखाड़ों के साधु संतों ने कड़ा एतराज जताया है. उनका कहना है कि पंचायती अखाड़े ने गलत परंपरा की शुरुआत की है.
कुंभ मेले में उदासीन संप्रदाय के बड़े पंचायती अखाड़े की पेशवाई में गुरुवार को बाबा रामदेव शिरकत करने पहुंचे थे. लेकिन अखाड़े की पेशवाई में दूसरे साधु-संतों के साथ पैदल चलने के बजाय बाबा रामदेव रथ पर सवार होकर निकले.
जबकि रथों पर अखाड़ों के पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वरों की सवारियां ही निकलती आई हैं. पेशवाई में बाबा रामदेव चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर निकले तो कई साधु संत हैरत में पड़ गए.
लेकिन बाबा रामदेव का कहना है कि अखाड़े के पंचों ने उन्हें जैसा निर्देश दिया उन्होंने वैसा ही किया.
अखाड़े के साधु-संतों ने फूलों की बारिश कर बाबा रामदेव का शाही अंदाज में स्वागत किया, लेकिन रामदेव को चांदी के सिंहासन पर सवार करवाकर पेशवाई में ले जाना दूसरे अखाड़ों के साधु-संतों को अच्छा नहीं लगा.
दूसरे अखाड़ों के साधु संतों ने इस पर कड़ा एतराज जताया है. जूना अखाड़े के पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी पंचानंद गिरि का कहना है कि पेशवाई के रथों में चांदी के सिंहासन पर सिर्फ महामंडलेश्वरों या किसी वरिष्ठ संत को ही बिठाए जाने की परम्परा है और रामदेव तो संत हैं ही नहीं.
इनके मुताबिक़ बड़े पंचायती अखाड़े ने रामदेव को इस तरह शामिल कराकर एक गलत परम्परा की शुरुआत की है.
गौरतलब है कि बाबा रामदेव को इस महाकुंभ में क्रांति के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उनका कहना है कि साल 2013 के अंत में देश में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है.
इस पर दूसरे अखाड़ों के साधु संतों ने कड़ा एतराज जताया है. उनका कहना है कि पंचायती अखाड़े ने गलत परंपरा की शुरुआत की है.
कुंभ मेले में उदासीन संप्रदाय के बड़े पंचायती अखाड़े की पेशवाई में गुरुवार को बाबा रामदेव शिरकत करने पहुंचे थे. लेकिन अखाड़े की पेशवाई में दूसरे साधु-संतों के साथ पैदल चलने के बजाय बाबा रामदेव रथ पर सवार होकर निकले.
जबकि रथों पर अखाड़ों के पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वरों की सवारियां ही निकलती आई हैं. पेशवाई में बाबा रामदेव चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर निकले तो कई साधु संत हैरत में पड़ गए.
लेकिन बाबा रामदेव का कहना है कि अखाड़े के पंचों ने उन्हें जैसा निर्देश दिया उन्होंने वैसा ही किया.
अखाड़े के साधु-संतों ने फूलों की बारिश कर बाबा रामदेव का शाही अंदाज में स्वागत किया, लेकिन रामदेव को चांदी के सिंहासन पर सवार करवाकर पेशवाई में ले जाना दूसरे अखाड़ों के साधु-संतों को अच्छा नहीं लगा.
दूसरे अखाड़ों के साधु संतों ने इस पर कड़ा एतराज जताया है. जूना अखाड़े के पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी पंचानंद गिरि का कहना है कि पेशवाई के रथों में चांदी के सिंहासन पर सिर्फ महामंडलेश्वरों या किसी वरिष्ठ संत को ही बिठाए जाने की परम्परा है और रामदेव तो संत हैं ही नहीं.
इनके मुताबिक़ बड़े पंचायती अखाड़े ने रामदेव को इस तरह शामिल कराकर एक गलत परम्परा की शुरुआत की है.
गौरतलब है कि बाबा रामदेव को इस महाकुंभ में क्रांति के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उनका कहना है कि साल 2013 के अंत में देश में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है.
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