अमरीका में थे तो अमरीकी कानून मानना था ना! फुल-टाईम नौकरानी को उसका पूरा सैलरी देना था ना! सामंतवादी इंडिया थोड़ी है कि... कौनो रघुवा-रज़िया को बेगारी पर रख लिये! बासी भुजिया-तरकारी और बिना ज़र्दा-चुना का पान खिया-खिया के बरतन-चौका करवा लिये! पुराना लुंगी-साड़ी हर दिवाली-ईद नयका 'पलोथिन' में डाल के दे दिये! अमरीका की धरती पर अपना देसी केंचुल उतार फेंकिये, और नौकर से बेगारी नहीं बल्कि काम कराइए फुल सैलरी सहित! नहीं तो बेंत पड़ता रहेगा देह के ख़ास-ख़ास अंगों पर! सुने नहीं हैं का कि... व्हेन इन रोम डू ऐज़ द रोमंस डू!
"
काम किये जा फल की इच्छा मत कर ऐ इंसान " ऐसे हिंदुस्तान में चलता है
अमेरिका में नही. अमेरिका में काम किया है तो पूरा मेहनताना देना ही पड़ेगा.
नहीं तो बेंत पड़ता ही रहेगा .....समझे
निर्वस्त्र तलाशी 'सामान्य प्रकिया' : अमरीका
बुधवार, 18 दिसंबर, 2013 को 13:07 IST तक के समाचार
न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य
दूतावास में कार्यरत उप वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को जब पिछले गुरूवार
यानि 12 दिसंबर को अमरीकी विदेश मंत्रालय के सुरक्षा एजेंटों ने वीज़ा
हासिल करने में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ़्तार किया तो शायद अमरीकी विदेश
मंत्रालय को भी इसकी उम्मीद नहीं थी कि इस मामले पर भारत में इतना कड़ा
विरोध होगा.
न्यूयॉर्क की उप वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को
जिस तरह हथकड़ी लगाकर गिरफ़्तार किया गया और जिस तरह से उनकी तलाशी ली गई
उस पर भारत ने क्लिक करें
कड़ा विरोध जताया है.
भारत में कड़ा विरोध
"भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को भी उसी तरह से तलाशी की प्रक्रिया से गुज़ारा गया जैसे अन्य गिरफ़्तार लोगों की तलाशी ली गई. और उन्हें भी उन्हीं की तरह गिरफ़्तार आम कैदियों के सेल में साथ रखा गया, जहां अदालत में पेशी से पहले रखा जाता है"
अमरीकी मार्शल सर्विस
लेकिन यहां पर थोड़ा सा अमरीकी प्रणाली में फ़र्क़ यह है कि गिरफ़्तारी के बाद अमरीकी विदेश मंत्रालय की भूमिका ख़त्म हो जाती है, इसीलिए विदेश मंत्रालय के सुरक्षा एजेंटों ने भारतीय राजनयिक को अमरीका की संघीय अदालती प्रणाली से संबंधित सुरक्षा एजेंसी यानी अमरीकी मार्शल सर्विस को सौंप दिया.
अमरीकी मार्शल सर्विस के एजेंटों का काम होता है कि वह कैदियों को अदालत में पेश करने से पहले उनकी देखरेख करें और उनकी पूरी तरह क्लिक करें छानबीन भी करें जिससे कोई हथियार आदि किसी ने कहीं छुपाया न हो.
इसीलिए देवयानी खोबरागड़े को अदालत में जज के सामने पेश किए जाने से पहले जिस सेल में उन्हें रखा गया, वहां अमरीकी संघीय कानून की कई अन्य महिला मुल्ज़िम भी मौजूद थीं. इनमें ड्रग एडिक्ट्स से लेकर अन्य संगीन जरायम के आरोप में क्लिक करें गिरफ़्तार महिलाएं भी थीं.
निर्वस्त्र तलाशी
इसी सेल से संघीय अदालत में जज के सामने लाए जाने से पहले हर कैदी की निर्वस्त्र तलाशी ली जाती है. इसमें कैविटि सर्च यानि मुंह के अंदर और गुप्तांगों की तलाशी भी शामिल होती है.अमरीका की किसी भी संघीय अदालत में पेश किए जाने वाले मुल्ज़िम की इसी प्रकार की मुकम्मल तलाशी ली जाती है. इसमें आमतौर पर किसी के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाती है.
इसीलिए अमरीकी सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि भारतीय राजनयिक के साथ वही बर्ताव किया गया जो किसी और क़ैदी के साथ किया जाता है.
अमरीकी मार्शल्स सर्विस ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ कानून के हिसाब से ही बर्ताव किया गया है.
अमरीकी मार्शल्स सर्विस ने कहा," भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को भी उसी तरह से तलाशी की प्रक्रिया से गुज़ारा गया जैसे अन्य गिरफ़्तार लोगों की तलाशी ली गई. और उन्हें भी उन्हीं की तरह गिरफ़्तार आम कैदियों के सेल में साथ रखा गया, जहां अदालत में पेशी से पहले रखा जाता है. "
धोखाधड़ी के आरोप
बयान में यह भी कहा गया है कि इस पूरे मामले में दोबारा भी जांच की गई. इसमें यह पाया गया कि देवयानी खोबरागड़े को नितिगत तरीके से ही रखा गया और तलाशी ली गई.देवयानी खोबरागड़े पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने घरेलू कामगार के लिए अमरीकी वीज़ा हासिल करने में धोखाधड़ी और ग़लत बयानी की.
राजनयिकों के अधिकारों और वियना समझौते की इस मामले में काफ़ी चर्चा हो रही है. लेकिन यहाँ यह भी समझने की बात है कि धोखाधड़ी के जो आरोप खोबरागड़े पर लगाए गए हैं, वह अमरीकी कानून के तहत खासे संगीन आरोप माने जाते हैं.
इसीलिए अमरीका का कहना है कि यह एक आपराधिक मामला है और वाणिज़्य दूतों को गिरफ़्तारी से माफ़ी तभी मिलती है अगर वो मामला उनके सरकारी काम से जुड़ा हो.
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े, अब ज़मानत पर रिहा हैं, उनकी अदालत में अगली पेशी 13 जनवरी को होनी है.
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