Wednesday, August 21, 2013

कमाऊ पति का ऐशोआराम और आजाद फैसले एक सा‍थ नहीं मिलते।


Manisha Pandey
वैसे अच्‍छे-खासे कमाऊ सॉफ्टवेअर इंजीनियर, कॉरपोरेट स्‍लेव पति की बीवी बनने में काफी ऐश भी है। सुबह उठकर ऑफिस नहीं भागना पड़ता, ऑफिस के दबाव-तनाव नहीं झेलने पड़ते। सुबह नौ बजे से लेकर रात नौ बजे तक हफ्ते में छह दिन अपनी ऐसी की तैसी नहीं करानी पड़ती। पति इतना मोटी कमाई करता हो तो घर के काम भी नहीं करने पड़ते। झाडू, पोंछा, बर्तन, कपड़ा और यहां तक की खाना बनाने के लिए भी मेड होती है। फुट टाइम सर्वेंट। मजे से सीरियल देखो, फेशियल करवाओ, शॉपिंग करो, नए डिजायनर सूट पहनो और वीकेंड में पति की बांह से सटकर मॉल में पिज्‍जा खाओ।
मजे ही मजे हैं।
लेकिन इस मजे की भी कीमत है। अपनी आजादी भूल जाइए, अपने फैसले, अपना जीवन, अपना हक, अपनी मर्जी सब गए तेल लेने।
कमाऊ पति का ऐशोआराम और आजाद फैसले एक सा‍थ नहीं मिलते। दोनों हाथों में लड्डू मुमकिन नहीं।
इसलिए तय करना होगा - ये या वो। इस पार या उस पार।
कोई एक ही चीज मिलेगी।
"या कॉरपोरेट की नौकरी या कॉरपोरेट के खिलाफ लड़ाई।"

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