tag:blogger.com,1999:blog-8385413891488081512.post6664674211836190800..comments2024-03-28T04:46:10.073-07:00Comments on कड़वी बाते , लेकिन सच्ची बाते : शरद पूर्णिमा की शाम महिषासुर की शहादत का शोक मनेगाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04622328312114544967noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8385413891488081512.post-4795765325917728322017-03-22T10:23:43.993-07:002017-03-22T10:23:43.993-07:00आंबेडकरवादियो के पास अधिक वास्तु नहीं है जिसके जरि...आंबेडकरवादियो के पास अधिक वास्तु नहीं है जिसके जरिये वे हिन्दुओ को घेर सके ,इसीलिए नए नए योजनाए बनाते रहते है ,अब इन लोगो ने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में "महिषासुर शहादत दिवस " मनाना शुरू कर दिया है |<br />यह लोग खुदको नागवंशी मानते है तो इन्हें बाइबिल और कुरान में वर्णित उस सर्प की याद में उत्सव मनाना चाहिए जिसने हव्वा को ज्ञान का फल खाने को कहा था और जिस कारण मनुष्य को ज्ञान मिला |<br />पहली बात ,महिषासुर का राज्य दक्षिण में था न की बंगाल में |<br /> दूसरी बात , असुर जनजाति के लोग केवल उत्तर पूर्व और पूर्वी भारत में रहते है , वे दक्षिण में नहीं रहते |<br />तीसरी और आखिरी बात की आंबेडकरवादी चिल्ला चिल्ला कर कहते है की यूरेशिया से आर्य आये थे उनमे केवल पुरुष ही थे स्त्री नहीं , उन आर्यों ने भारत की मूलनिवासी स्त्रियों से विवाह किया था ,तो यह आर्य स्त्री कहा से आई ??<br />यह तो असुर जनजाति के लोग है जो खुदको महिषासुर का वंशज मानती है ,तो फिर इन आंबेडकरवादियो ने महिषासुर को अपना पूर्वज कैसे बना लिया ? ये तो कहते है की इनके पूर्वज द्रविड़ या नागवंशी है पर आदिवासी द्रविड़ नहीं होते | कई आदिवासी जो भाषा बोलते है वे अधिकतर ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषा परिवार की होती और द्रविड़ी भाषा परिवार इससे अलग है साथ ही जैसा आप निचे की फोटो में देख सकते है की ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषाए भारत ,बर्मा ,थाईलैंड आदि देशो में बोले जाने वाली भाषा है |<br />कई जनजाति जैसे मुंडा ,संथाल ,असुर , बोंदा आदि ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषाए बोलते है | तो यह सिद्ध होता है की आदिवासियों और आंबेडकरवादियो का एक दुसरे से कोई संबंध नहीं ,वे बेवजह ही महिषासुर को खुदका पूर्वज बना रहे है |<br />यह तो असुर जनजाति के लोग है जो खुदको महिषासुर का वंशज मानती है ,तो फिर इन आंबेडकरवादियो ने महिषासुर को अपना पूर्वज कैसे बना लिया ? ये तो कहते है की इनके पूर्वज द्रविड़ या नागवंशी है पर आदिवासी द्रविड़ नहीं होते | कई आदिवासी जो भाषा बोलते है वे अधिकतर ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषा परिवार की होती और द्रविड़ी भाषा परिवार इससे अलग है साथ ही जैसा आप निचे की फोटो में देख सकते है की ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषाए भारत ,बर्मा ,थाईलैंड आदि देशो में बोले जाने वाली भाषा है |<br />कई जनजाति जैसे मुंडा ,संथाल ,असुर , बोंदा आदि ऑस्ट्रो एशियाटिक भाषाए बोलते है | तो यह सिद्ध होता है की आदिवासियों और आंबेडकरवादियो का एक दुसरे से कोई संबंध नहीं ,वे बेवजह ही महिषासुर को खुदका पूर्वज बना रहे है |<br /> देखने वाली बात यह है की किसी भी आदिवासी लोक कथा में कही भी आर्य आक्रमण का उल्लेख नहीं , जब आदिवासी इतनी प्राचीन बातें याद रख सकते है तो वे आर्यों को कैसे भूल गए ??<br />इसका आंबेडकरवादियो का उत्तर होता है की ब्राह्मणों ने उन्हें भुलवा दिया , हा भाई ब्राह्मणों को और कुछ काम धंदा ही नहीं है लोगो को उनका इतिहास भुलाते रहे ??<br />दुनिया में कही भी ऐसा नहीं हुआ की किसी एक संस्कृति के व्यक्ति ने किसी अन्य संस्कृति के व्यक्ति को अपनी संस्कृति भुलाने की कोशिस की हो ??<br />इससे यह सिद्ध होता है की असुर काबिले के लोग पुराण में वर्णित असुर नहीं और नही उनका और आर्यों का युद्ध हुआ | यह केवल एक प्रयत्न है हिन्दुओ के त्योहारों के सहारे उन्हें निचा दिखाने और इसाई मिशनरी का भारत पर कब्ज़ा करने का |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8385413891488081512.post-27729165637259015702012-10-23T21:29:10.916-07:002012-10-23T21:29:10.916-07:00दुर्गा पूजा का विरोध करने की आवश्यकता नहीं है. जब ...दुर्गा पूजा का विरोध करने की आवश्यकता नहीं है. जब मूलनिवासी जागरूकता के साथ अपने पूर्वजों की हत्या और ग़ुलामी के इतिहास को जान जाएँगे और अपने त्योहार मनाने लगेंगे तब कई समस्याएँ सुलझने लगेंगी.<br />Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.com